सन्त तुकाराम

November 1970

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एक आदमी सन्त तुकाराम का कीर्तन सुनने तो नित्य ही आता- पर उनसे बहुत द्वेष रखता। वह मन ही मन किसी अवसर का संत तुकाराम को नीचा दिखाने की ताक में रहा करता था।

एक दिन तुकाराम की भैंस उसके बाग के कुछ पौधे चर आई। बस वह आकर लगा गालियाँ सुनाने। इस पर भी जब सन्त उत्तेजित न हुए तो उसे और भी गुस्सा आया और एक काँटों वाली छड़ी लेकर तुकाराम को इतना पीटा, कि रक्त बहने लगा। फिर भी तुकाराम को न क्रोध आया- न प्रतिरोध ही किया।

सन्ध्या समय जब वह व्यक्ति नित्य की भाँति कीर्तन में नहीं आया- तो संत तुकाराम स्वयं उसके घर गये और स्नेहपूर्वक भैंस की गलती की क्षमा माँगते हुए उसे कीर्तन में ले आये।

अब वह व्यक्ति तुकाराम के चरणों में पड़ा था और क्षमा-याचना कर रहा था।


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