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November 1970

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दो किरण चली एक जा पड़ी कीचड़ में दूसरी एक पुष्प में। पुष्प वाली किरण ने दूसरी किरण से कहा- देखो! जरा दूर रहना छूकर मुझे भी अपवित्र मत करना।

ऐसा न कहो बहिन दूसरी किरण बोली- हम इस कीचड़ को सुखायें और साफ न करें तो इस फूल की रक्षा कैसे हो। दूसरी किरण अपने दंभ पर बड़ी लज्जित हुई और शर्म के मारे गड़ कर रह गई।


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