संयुक्त राष्ट्र संघ से संयुक्त ग्रह राज्य की ओर

November 1970

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‘किसी देश में कोई एकाध मुकदमा हुआ करेगा तो लोग आश्चर्य किया करेंगे कि पृथ्वी में ऐसा कौन आदमी है, जिसके मन में द्वेष, छल या वैमनस्य है। तब न तो कोई जाति भेद रहेगा, न लिंग और वर्णभेद। सारी पृथ्वी पर एक धर्म-मानव धर्म स्थापित होगा। आज जिस तरह सारी पृथ्वी के देशों ने मिलकर अमेरिका में ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ (यूनाइटेड नेशन्स ऑर्गनाइजेशन) की स्थापना की है, तब समस्त ब्रह्माण्ड के निवासियों के एक ‘संयुक्त ग्रह-राज्य’ (यूनाइटेड प्लैनेट्स) की स्थापना हो जायेगी उसकी राजधानी पृथ्वी भी हो सकती है मंगल, गुरु, बुध, या बृहस्पति भी। बहुत संभव है संयुक्त ग्रह राज्य की राजधानी इस सौरमण्डल के बाहर भी कहीं पर हो पर यह निश्चित है कि मानवीयता के दायरे अब जैसे सीमित हैं वैसे आगे न रहेंगे। वह दिन समीप है जबकि ब्रह्माण्ड के सारे ग्रह-नक्षत्र एक जिले के गाँव, एक राज्य के जिले, एक देश के राज्य और सारी पृथ्वी के अनेक देशों के समान पास-पास बसे पड़ौसियों की सी रिश्तेदारी में आ जायेंगे।’

यह शब्द ‘पंचतंत्र या गुलावरी’ की किसी कथा अथवा पायावर की मात्रा के किसी काल्पनिक प्रसंग से नहीं उद्धृत किये जा रहे। यह विश्वविख्यात अमरीकी भविष्य वक्ता ‘श्री आर्थर चार्ल्स क्लार्क के हैं जो ‘कलिंग पुरस्कार जैसा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करते समय उन्होंने उन सैकड़ों भविष्यवाणियों की तरह दृढ़तापूर्वक कहे जो वह पहले कर चुके थे और जो कई बार तो अक्षरतः ज्यों की त्यों सत्य सिद्ध हो चुकी हैं।

चार्ल्स क्लार्क की भविष्यवाणियाँ अन्य भविष्य वक्ताओं से भिन्न कोटि की हैं। स्वयं एक वैज्ञानिक और साहित्यकार होने के कारण उनकी भविष्य संबंधी पूर्वोक्तियाँ विज्ञान और मनुष्य के अन्तःकरण को छूने वाली भावनाओं को साथ-साथ लेकर हुईं हैं। उनकी भविष्यवाणियाँ इतनी स्पष्ट और सत्य सिद्ध हुईं कि पीछे वैज्ञानिकों ने उनके भविष्य-कथन को आधार मानकर प्रयोग भी करने प्रारंभ कर दिये।

1959 की एक शाम एक दावत में उन्होंने अपने मित्रों को बताया कि 1969 की 30 जून पृथ्वी के इतिहास का सर्वाधिक रोमाँचक दिन होगा। मैं स्पष्ट देख रहा हूँ कि पृथ्वी का कोई निवासी उस दिन चन्द्रमा पर उतर जायेगा।’

उन्होंने जिस दिन यह भविष्यवाणी की थी तब तक समान व अन्तर्ग्रही प्रक्षेपण की एक भी घटना घटित नहीं हुई थी। इसके ठीक दो वर्ष पीछे 1961 में पहली बार रूसी वैज्ञानिकों ने यूरी गागरिन को अन्तरिक्ष में भेजकर पृथ्वी की प्रदक्षिणा कराई थी इसलिये मित्रों को उनकी बात पर विश्वास नहीं हुआ पर सारे संसार ने देखा कि पिछले वर्ष उनकी 10 वर्ष पूर्व की गई भविष्यवाणी कुल 20 दिन के अन्तर से सत्य हो गई। 1966 में अमेरिका का एक अपोलो केप-कैनेडी में ही जलकर नष्ट न हो गया होता तो संभवतः यह 20 दिन का भी अन्तर नहीं पड़ता।

चार्ल्स क्लार्क छोटे थे तभी से उनमें अतीन्द्रिय ज्ञान और पूर्वाभास की विचित्र क्षमता उत्पन्न हो गई थी। वह कहा करते थे-मनुष्य शरीर नहीं एक शक्ति है, उस शक्ति में प्रकाश है, तेजस्विता है, और वह सब क्षमतायें हैं जो मनुष्य भगवान में अपेक्षा किया करता है। मानव-अन्तःकरण की यह शक्ति यद्यपि अभी सोई पड़ी है पर मैं देख रहा हूँ कि एशिया के किसी देश (भारतवर्ष की ओर संकेत) से कुछ ही दिनों में एक प्रचण्ड विचार क्राँति उठने वाली है। वह 1971 तक उस देश और उसके 10 वर्ष बाद सारे विश्व में इस तरह गूँज जायेगी कि मानव का सोया अन्तःकरण जागने को विवश हो जायेगा। आज जिन शक्तियों की ओर लोगों का ध्यान भी नहीं जाता तब वह शक्तियाँ जन-जन की शोध और अनुभूति का विषय बन जायेंगी। विज्ञान एक नई मोड़ लेगा जिससे आध्यात्मिक तत्वों की प्रचुरता होगी। सारे ब्रह्माण्ड को एक सूत्र में बाँधने का आधार यह आध्यात्मिक सिद्धियाँ और सामर्थ्य ही होंगी।

लोगों ने तर्क प्रस्तुत किया जीवन का अस्तित्व तो केवल पृथ्वी में है। वैज्ञानिक भी कहते हैं कि अन्य ग्रह जीवन रहित हैं- ‘इस पर उन्होंने कहा-मैंने 1945 में कहा था कि सारी पृथ्वी और समुद्र को तारों से पाटने की जरूरत नहीं यदि कोई कृत्रिम उपग्रह 17000 मील की गति से अन्तरिक्ष में उड़ा दिया जाये जो पृथ्वी की परिक्रमा करता रहे तो वह बेतार के तार वाले संदेश पहुँचाने की आवश्यकता को पूरी कर देगा। तब लोगों को मेरी बात हंसी जैसी लगी किन्तु 1962 में बेल कंपनी ने ‘टेलस्टार’ नामक उपग्रह छोड़कर मेरे कथन की सत्यता सिद्ध कर दी। अब तो अलीवर्ड और टालरास जैसे संचार उपग्रह भी बन गये हैं जो एक स्थान से पृथ्वी के दूसरे स्थान तक 1 मिनट में 17॥ अखबारी पेजों के बराबर संदेश भेज सकते हैं।’

एक बार मैंने कहा था-मनुष्य छोटी से छोटी वस्तु (अणु) से भी इतनी शक्ति उत्पन्न करने में सक्षम हो जायेगा जो किसी भी मुल्क को कुछ ही मिनट में नष्ट-भ्रष्ट कर डालने की क्षमता से ओत-प्रोत होगी। तब लोगों ने मेरी बात का विश्वास नहीं किया पर जब नागासाकी और हिरोशिमा काण्ड हो गये तब लोग मेरी बात मान गये। यह भविष्यवाणियाँ मैंने जिस दृढ़ता और आत्म विश्वास के साथ की हैं उसी आत्म विश्वास के साथ मैं आज भी कहता हूँ कि यह सृष्टिकर्ता रहित नहीं। एक रहस्यमय चेतन शक्ति है जिसके आगे मानवीय बुद्धि मानवीय योग्यतायें नगण्य हैं। विराट सृष्टि का निर्माण उसी की इच्छा से होता है। यदि उसने पृथ्वी पर जीवन उत्पन्न किया है तो कोई कारण नहीं कि अन्य ग्रह भी आबाद न हों। यदि अन्य ग्रहों में जीवन हुआ तो इसमें रत्तीभर सन्देह नहीं कि वे सब पास-पास आयें और अपनी समस्याओं के समाधान के सार्वभौमिक नियम तय करें।’

चार्ल्स क्लार्क की जैसी दूसरी भविष्यवाणियाँ सत्य हुईं वैसे ही अब उनकी यह भविष्यवाणी भी अभिव्यक्ति के द्वार तक आ पहुँची है। ‘पल्सर’ और क्वासार’ किरणों के माध्यम से आने वाले रेडियो संकेतों से वैज्ञानिक भी अब यह निष्कर्ष निकालने लगे कि अन्य ग्रहों में न केवल जीवन है वरन् विकसित सभ्यतायें भी हैं और वे पृथ्वी निवासियों से संपर्क भी बनाना चाहती हैं। लाल रंग ग्रहों और अन्तरिक्ष ने भी उनकी भविष्यवाणी की सत्यता को बल दिया है और धीरे-धीरे वाम विचार धारा के वैज्ञानिक भी मानते जा रहे हैं कि अन्य ग्रहों में जीवन के अस्तित्व से इन्कार नहीं किया जा सकता।

आर्थर चार्ल्स क्लार्क ने बहुत पहले कहा था कि मैं कुछ दिन के लिये अपनी छुट्टियाँ बिताने चन्द्रमा में अवश्य जाऊंगा। तब लोग उनके इस कथन पर हंसे थे पर आज लगता है वह दिन दूर नहीं जब अन्तर्ग्रहीय यात्राओं का टिकट दर कुछ नये पैसे प्रति करोड़ मील के हिसाब से होगा। फ्राँस की ‘इन्स्टीट्यूट आफ हायर डिफेन्स स्टडीज’ संस्था के निर्देशक डॉ. फर्नेंड गैंबीज का कथन है कि अब आगे जो हाइड्रोजन बम बनेंगे वह लेजर द्वारा चालित होंगे। उन्हें ‘लेजर मिनी एच बम’ कहा जायेगा उनकी शक्ति तो इस परमाणु बम से सैंकड़ों गुनी अधिक होगी पर मूल्य कुछ रुपयों से अधिक नहीं होगा। तात्पर्य यह है कि परमाणु शक्ति के इस सस्तेपन का प्रभाव अन्तर्ग्रहीय यात्राओं पर कम खर्च के रूप में होगा और तब लोग बिना किसी आर्थिक दबाव के और सौरमण्डल और उसके बाहर की भी यात्रा करने वालों में कितने तो इस लेख के पाठक भी होंगे।

इन दिनों पत्नी डाट के साथ कोलम्बो (श्रीलंका) में जीवन बिता रहे श्री क्लार्क की भविष्य वाणियों में भी भारतवर्ष की उन्नति की वह सब बातें आती हैं जो श्रीमती डिक्सन कोरो, एण्डरसन आदि ने की हैं। उनका कथन है कि- भारतवर्ष ने अतीत में अपनी आध्यात्मिक उन्नति के रूप में ही नहीं एक महान वैज्ञानिक देश के रूप में भी गौरव अर्जित किया है। मैंने सुना है कि यहाँ कई तरह के आग्नेयास्त्र, वरुणास्त्र और अनेक गगनगामी विमानों के भी अनुसंधान हो चुके हैं आगे भी यह देश इस तरह की उन्नति करेगा और इस दौड़ में दुनिया के तमाम देशों को पछाड़ देगा। पर मूलतः इसकी ख्याति और विश्व प्रतिष्ठा का आधार यहाँ का धर्म और दर्शन होगा। विश्व धर्म के रूप में भारतीय धर्म और संस्कृति को ही स्थान मिलेगा।

श्री क्लार्क मनुष्य की प्रगति में बड़ा विश्वास रखते हैं उन्होंने फिल्में भी बनाई हैं। उनकी ‘2001 स्पेश ओडेसी’ फिल्म ने अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति पाई है, उसमें श्री क्लार्क ने यही दिखाया है कि आज का मनुष्य पहले के बर्बर और अज्ञान ग्रस्त मनुष्य की तुलना में बहुत अच्छा है, उसने साधारण बौद्धिक विकास किया है उसके सहारे वह एक दिन न केवल ब्रह्माण्ड वरन् जीवन के अन्तराल में भी प्रवेश करेगा और सारी पृथ्वी में ‘विश्व-बन्धुत्व’ एकात्मा, परस्पर प्रेम और आत्मीयता पूर्ण जीवन का विकास करेगा।

उसकी भारतवर्ष की स्वतंत्रता, चीन और पाकिस्तान की मैत्री, रूस और चीन के युद्ध संबंधी भविष्यवाणियाँ नितान्त सत्य हो गईं हैं, थोड़े दिनों का कभी हेर-फेर हुआ हो वह अलग बात है फिर यदि सन 2000 से पहले सारी पृथ्वी में एक अनोखी विचार क्राँति और युग परिवर्तन जैसी उनकी यह भविष्यवाणी भी सत्य हो इसमें संदेह नहीं है क्योंकि आज की परिस्थितियों का झुकाव भी कुछ वैसा ही है।


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