विज्ञान आगे भी अनर्थ पैदा करता रहेगा, ऐसी आशंकाएँ किसी को भी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि खनिज तेल, विद्युत उत्पादन जैसे स्रोत ही सूख जाएँगे तब विज्ञान जीवित कैसे रह सकेगा? लोगों को लौटा कर फिर प्राकृतिक जीवन अपनाना पड़ेगा, जिसमें विकृतियों के अभिवर्धन की कोई गुँजाइश ही नहीं है।
विज्ञान जीवित रहेगा, पर उसका नाम भौतिक विज्ञान न होकर अध्यात्म विज्ञान हो जाएगा। उस आधार को अपनाते ही वे सभी समस्याएँ सुलझ जाएँगी, जो इन दिनों अत्यन्त भयावह दीखती हैं। इन आवश्यकताओं को प्रकृति ही पूरा करने लगेगी, जिनके अभाव में मनुष्य अतिशय उद्विग्न, आशंकित और आतंकित दिखाई देता है? न अगली शताब्दी में युद्ध होंगे, न महामारियाँ फैलेंगी और न जनसंख्या की अभिवृद्धि से वस्तुओं की कमी पड़ने के कारण चिन्तित होने की आवश्यकता पड़ेगी। -परमपूज्य गुरुदेव
‘परिवर्तन के महान क्षण’ से, पृष्ठ 31-32
*समाप्त