सब काम करना चाहिए, परंतु मन ईश्वर में रखना चाहिए। माता-पिता स्त्री-पुरुष आदि सब रहते हुए सबकी सेवा करनी चाहिए, परंतु मन में इस ज्ञान को दृढ़ रखना चाहिए कि ये हमारे कोई नहीं हैं। किसी धनी के घर दासी उसके घर का काम करती है, किंतु उसका मन अपने गाँव के घर पर लगा रहता हैं मालिक के लड़कों का वह लालन-पालन अपने लड़कों की तरह करती है। उन्हें मेरा मुन्ना-मेरा राजा कहती है, पर मन-ही-मन खूब जानती है कि ये मेरे कोई नहीं हैं। कछुआ रहता तो पानी में है, पर उसका मन रहता है किनारे पर, जहाँ उसके अण्डे रखे हैं। संसार का काम करो, पर मन रखो ईश्वर में। -रामकृष्ण परमहंस