युगपुरुष की लेखनी से - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वांग्मय-अमृत कलश

March 1999

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9- गायत्री महाविद्या का तत्त्वदर्शन

गायत्री को वेदमाता कहा जाता है। शास्त्रों में ऋषिगणों ने इस मंत्र की महिमा का गुणगान खुलकर किया है। गायत्री को उपासक कामधेनु अथवा कल्पवृक्ष के रूप में मानते हैं। इस खण्ड में साधना के इन महत्वपूर्ण सूत्रों का विवेचन है, कृपया पढ़ें-

गायत्री माहात्म्य, स्वरूप तथा रहस्य, वेदमाता गायत्री

गायत्री और ब्रह्म की एकता, विभूतियों का भण्डार।

मधुविद्या, गायत्री की भुजाएँ-योग और तप।

वेद, उपनिषद् एवं धर्मशास्त्रों में गायत्री।

गायत्री सहस्र का विज्ञान, गायत्री चालीसा।

गायत्री का गोपनीय वाममार्ग, आग्नेयास्त्र।

गायत्री ही कामधेनु, कष्ट-निवारण हेतु गायत्री।

गायत्री रहित ब्राह्मण की दुर्गति।

दीक्षा और गुरुमंत्र, आँतरिक कायाकल्प।

देवताओं, अवतारों, ऋषियों की उपास्य गायत्री।

गायत्री का वाहन राजहंस, अमृत-पारस-कल्पवृक्ष

गायत्री का ब्रह्मतत्त्व-ब्रह्मवर्चस

10-गायत्री साधना का गुह्य विवेचन

ऋषिगणों ने गायत्री महामंत्र को एक महान आध्यात्मिक शक्ति माना है। इस महामंत्र के उच्चारण मात्र से अनेकानेक प्रसुप्त शक्तियाँ मानवीय देह में जाग्रत हो जाती हैं। इसके लिए हम जानें-

-ॐ तथा गायत्री का अर्थ।

गायत्री पर रावण आदि विद्वानों के भाष्य।

विभिन्न पुराणों में गायत्री की व्याख्या।

गायत्री के चौदह रत्न, चौबीस शक्तियाँ।

देवत्व का अवलंबन दैवी संपत्तियों का संचय।

गायत्री की 24 शिक्षाएँ।

गायत्री मंत्र, ज्ञान-विज्ञान का अनंत भंडार।

ईश्वरानुभूति कैसे, शक्ति संचय की प्रणाली।

धन का सदुपयोग, आत्मविश्वास।

आध्यात्मिक विकास, धैर्य, नारी-गृहलक्ष्मी

वैवाहिक जीवन का उत्तरदायित्व।

प्राकृतिक सौंदर्य, प्रकृति का अनुसरण।

पंचतत्वों का उपयोग। मानसिक संतुलन।

11-गायत्री साधना के प्रत्यक्ष चमत्कार

किसी भी सुपात्र द्वारा गायत्री साधना सम्पन्न किये जाने पर गायत्री उसे वह सब कुछ दे देती है, जो सद्बुद्धि पाने पर किसी को भी अभीष्ट होता है। गायत्री साधना एक सूक्ष्म विज्ञान-सम्मत प्रणाली है। अपने जीवन में गायत्री-साधना के सम्बन्ध में जानें-

सर्वशक्तिमान गायत्री, गुप्तशक्ति की कुँजी, ध्रुव को परमपद।

आनंद स्वामी, माधवाचार्य, काठियाबाबा की गायत्री साधना।

तंत्र साधना, पूर्व जन्मों का ज्ञान, इच्छा मृत्यु।

स्वामी दयानंद की गायत्री उपासना।

गायत्री द्वारा भौतिक सफलताएँ, ब्रह्मतेज।

गायत्री की सिद्धियाँ, विपत्ति निवारिणी गायत्री।

गायत्री साधना से श्री-समृद्धि

गायत्री मंत्र की अनुभूतियाँ।

गायत्री साधना से वाक्–सिद्धि।

साधकों को चेतावनी।

गायत्री मंत्र लेखन की साधना।

12-गायत्री की दैनिक एवं विशिष्ट अनुष्ठान परक साधनाएँ

गायत्री महाशक्ति की जो मनुष्य उपासना करता है, उसके जीवन में कोई अभाव नहीं रह जाता। प्राचीन प्रमुख ऋषि-मुनियों की आराधना का आधा गायत्री रहा है। गायत्री की अनुष्ठान परक साधनाएँ जानने के लिए पढ़िए-

गायत्री और सावित्री का उद्भव, शक्ति केन्द्रों का उद्दीपन।

यज्ञोपवीत के रूप में गायत्री, नवनिधियों की साधना।

यज्ञ और गायत्री, निष्काम साधना।

उपासना क्यों और किसी? गायत्री से अंतः कायाकल्प।

साधना की सफलता का विज्ञान, साकार और निराकार ध्यान।

गायत्री का नारी स्वरूप।

द्विजों का नित्य नियम, समय-साधना

साधना में माला की आवश्यकता, ब्रह्मसंध्या।

गायत्री से पाप मुक्ति, प्रायश्चित।

कुमुहूर्त एवं अपशकुन विचार।

गायत्री से अनेक प्रयोजनों की सिद्धि।

13-गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियाँ

गायत्री के पंचमुखी एवं दस भुजाधारी होने का वर्णन अनेक स्थानों पर आता है। वस्तुतः यह सत्य है। पंचकोश आत्मसत्ता के पाँच खजाने के समान हैं। इन्हें जानने के लिए पढ़ें-

उच्चस्तरीय साधना की सिद्धि तथा तत्त्वज्ञान।

गायत्री के पाँच मुख, पाँच दिव्यकोष।

वैज्ञानिक अध्यात्मवाद।

अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय तथा आनन्दमय कोषों की साधना एवं उनका अनावरण-जागरण

जीवात्मा के तीन शरीर-उनकी साधना तथा कार्यक्षेत्र।

चमत्कारी हारमोन ग्रंथियाँ, जीन प्रक्रिया।

आहार-विहार से जुड़ा है मन। उपवास, आसन, तपश्चर्या से आत्मबल की उपलब्धि।

तप-साधना द्वारा दिव्यशक्तियों का उद्भव।

नौ प्रकार के प्राणायाम और प्राणशक्ति।

मूलबन्ध उड्डियान बंध, जालंधर बंध।

त्राटक द्वारा आज्ञा चक्र का जागरण।

14-गायत्री साधना की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि

गायत्री महामंत्र अनादि कालीन प्रथम ऋचा है और यह महामंत्र ज्ञान-विज्ञान की दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण है। इसे भली प्रकार समझे बिना इसकी साधना का लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसके वैज्ञानिक आधा पर समझने के लिए जानें-

गायत्री की गुप्त शक्ति, शक्ति कोषों का उद्भव।

शिखा-सूत्र वैज्ञानिक आधार।

गायत्री मंत्र की श्रेष्ठता, सामर्थ्य, सिद्धि का विज्ञान।

ध्वनि विज्ञान पर आधारित मंत्र विद्या।

गायत्री उपासना विज्ञान की दृष्टि में, रोगोपचार हेतु।

मंत्रशक्ति द्वारा मेघ वृष्टि, वरुण यज्ञ।

सरलतम और समग्र शक्तिमान ‘(‘।

मंत्र शक्ति और देवसत्ताओं का तारतम्य।

गायत्री साधना संबंधी शंका-समाधान

वितंडावादों से बचने की नीति।

स्त्रियों का गायत्री अधिकार।

15-सावित्री, कुण्डलिनी एवं तंत्र

सावित्री, कुण्डलिनी तथा तंत्र- तीनों ही अभी तक जन-साधारण के लिए गुह्य विषय बने हुए थे। इनके सम्बन्ध में बहुत कुछ अभी तक अज्ञात रहा है। इस गुह्यविज्ञान के परिचय के लिए आप पढ़ना चाहेंगे-

गायत्री गंगा की अनेकानेक धाराएँ।

शिव और शक्ति, महाकाल की महाकाली।

सावित्री साधना और कुण्डलिनी जागरण।

सावित्री का शक्ति स्रोत- सविता देवता।

सूर्य की क्षमता और आराधना।

सूर्य की साधना से सद्बुद्धि, सविता का अनुदान प्राणशक्ति के रूप में।

समूचा ब्रह्माण्ड एक चैतन्य शरीर।

दिव्यलोकों से बरसने वाला शक्तिप्रवाह।

भूगोल बदले तो इतिहास भी बदले।

तंत्र-अध्यात्म क्षेत्र का भौतिक विज्ञान।

16-मरणोत्तर जीवन तथ्य एवं सत्य

पंचतत्वों से बनी काया क्षणभंगुर है किन्तु, आत्मा अमर है। मनुष्य में सदैव ही यह उत्सुकता रही है कि, जन्म के पूर्व आत्मा कहाँ रहती है और मरण के बाद आत्मा कहाँ चली जाती है? इसकी जानकारी के लिए आप जानना चाहेंगे-

मरण-सृजन का अभिनव पर्व इसे सुखद बनाएँ।

मरणकाल की व्यथा, अमर होना संभव है क्या?

मृत्यु से वापस लौटने वालों के अनुभव, प्रेतदशा।

अत्यधिक मोह के कष्टकर परिणाम।

अनीति त्रास देती है, अभिशप्त यान एवं भवन।

व्हाइट हाउस में मरणोत्तर जीवन।

परकाया प्रवेश की शक्ति-सामर्थ्य

प्राण परिवर्तन, प्रेतों से साक्षात्कार।

भूत-भ्रम या वास्तविकता, भूतबाधा का निवारण।

पितर संपर्क से लाभ-ही-लाभ दैवी अनुदानों के प्रसंग।

पुनर्जन्म का सिद्धान्त और विज्ञान।

सर्वत्र ही स्वर्ग, दुष्कर्म ही अपवर्ग।

चांद्रायण-व्रत का विधान।

क्रमशः


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