विचार-प्रवाहों से प्रभावित होता है चिंतन

March 1999

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किसान होते हुए भी श्रम में उसकी आस्था न थी। वह रात-दिन इसी उधेड़-बुन में रहता था कि किस प्रकार बिना मेहनत किए वह धनवान् बन जाए। इसी उधेड़-बुन में वह अपना समय काट रहा था कि उसके देश के राजा ने एक रात स्वप्न देखा कि उसे हर वस्तु पीली-पीली दिखाई पड़ रही है। सुबह होते ही राजा ने घोषणा करवा दी कि जो व्यक्ति उसके स्वप्न का अर्थ बता देगा, उसे राजकोष से एक लाख रुपयों का पुरस्कार दिया जाएगा।

किसान ने जब यह घोषणा सुनी तो वह विकल हो उठा। किसी भी तरह वह लखपति बनने का मौका खोना नहीं चाहता था। वह जंगल की ओर चल पड़ा और वहाँ भगवान को प्रसन्न करने के लिए ध्यान लगाकर बैठ गया। तीन दिन बाद एक वृद्ध की आत्मा प्रकट हुई और किसान को मदद करने का प्रस्ताव किया। किसान ने राजा के स्वप्न और उससे प्राप्त होने वाली राशि का जिक्र किया, तो वृद्ध की आत्मा बोली, “मैं तुम्हें स्वप्न का अर्थ बता दूँगा, लेकिन एक शर्त है, जो राशि तुम्हें मिलेगी उसमें से आधा मुझे दे जाओगे"।

किसान ने शर्त स्वीकार कर ली तो वृद्ध की आत्मा ने बताया कि राजा को स्वप्न में हर चीज पीली-पीली दिखाई दी, इसका अर्थ है कि इस वर्ष राज्य में भयंकर अकाल पड़ने वाला है। किसान राजा के पास गया और स्वप्न का अर्थ बताकर एक लाख रुपया प्राप्त कर लिया। रुपया पाने पर उसके मन में बेईमानी समा गयी। सोचा कि वृद्ध की आत्मा के पास नहीं जाऊँगा। वह मेरा क्या कर लेगी। इंतजार करते-करते निराश होकर वापस लौट जाएगी। किसान यह सोचते हुए सीधे घर लौट गया।

कुछ समय बाद राजा ने फिर एक स्वप्न में हर वस्तु लाल-ही-लाल दिखाई दे रही थी। दूसरे दिन राजा ने स्वप्न का अर्थ जानने के लिए घोषणा करवा दी कि जो व्यक्ति स्वप्न का सही अर्थ बताएगा, उसे डेढ़ लाख रुपये दिए जाएँगे।

राजा की घोषणा सुनकर किसान बहुत पछतावा कि अगर मैं उस वृद्ध की आत्मा को पहले आधी राशि दे देता, तो यह डेढ़ लाख तो न जाता। फिर यह सोचकर कि वृद्ध की आत्मा से माफी माँग लूँगा, वह किसान जंगल की ओर चला गया। तीन दिन तपस्या के बाद वह आत्मा प्रकट हुई तो किसान ने माफी माँगते हुए और रोते हुए राजा के स्वप्न और उसकी पुरस्कार राशि के संबंध में बताया।

आत्मा बोली-मैं तुम्हें स्वप्न का अर्थ तो बता दूँगी, लेकिन इस बार बेईमानी न करना।” किसान ने पुनः वादा किया तो आत्मा बोली, “इस साल राज्य में युद्ध की स्थिति होगी। पड़ोसी देश आक्रमण करेगा और भारी रक्तपात होगा।”

किसान राजा के पास गया और स्वप्न का अर्थ बताकर पुरस्कार राशि प्राप्त कर ली। धन प्राप्त करते ही किसान के मन में विचार उठा कि वृद्ध की आत्मा को पुरस्कार में से आधा देने से अच्छा होगा कि तलवार से उसका होगा कि तलवार से उसका वध कर दिया जाय। इसी विचार से वह तलवार लेकर जंगल की ओर चल पड़ा। वृद्ध की आत्मा अदृश्य हो गयी।

एक वर्ष बाद राजा ने फिर स्वप्न देखा कि उसे सारी वस्तुएँ हरी-हरी दिखाई पड़ रही हैं। दूसरे दिन उसने घोषणा की कि इस स्वप्न का अर्थ जो व्यक्ति बता देगा, उसे दो लाख रुपया दिया जाएगा।

राजा की यह घोषणा सुनकर किसान बहुत पछताया और मन-ही-मन सोचने लगा कि उससे बहुत बड़ी गलती हो गयी है। लेकिन अब क्या किया जाय? अंत में उसने निश्चय किया कि इस बार जो भी पुरस्कार मिलेगा, वह सब-का-सब मैं वृद्ध की आत्मा को दे दूँगा। यही सोचकर वह जंगल की पड़ा।

जंगल पहुँचने पर उसे अचरज हुआ कि वृद्ध की आत्मा पहले से ही उसकी प्रतीक्षा में खड़ी हैं। वृद्ध की आत्मा को देखकर किसान हार्दिक पश्चाताप से उसके चरणों पर गिर पड़ा और सिसकते-सिसकते माफी माँगने लगा।

वृद्ध की आत्मा ने झुककर किसान को उठाया और अपने सीने से लगाकर बोली-” इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। यह समय का प्रभाव था। जब देश में अकाल पड़ा तो तुम्हारी नीयत भी बुरी हो गयी थी और जब युद्ध की स्थिति आयी तो उससे भी तुम मुक्त न हो सके। तुमने उस प्रभाव के कारण ही मेरे ऊपर प्रहार किया। लेकिन अब राजा को स्वप्न में हर वस्तु हरी-हरी हर तरफ खुशहाली का साम्राज्य छाने वाला है। इसीलिए तुम्हारे अंदर भी अच्छे विचार उठने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि तुमने बिना माँगे ही पुरस्कार की सारी राशि मुझे देने की सोच लिया।”

समय के इस अद्भुत प्रभाव पर किसान चकित था। उसे बोध हो रहा था कि उज्ज्वल भविष्य अपने साथ सद्विचारों के प्रवाह को लेकर आता है।


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