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March 1999

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जो दुर्भाग्य के दुर्गम पथ पर साहस से विचरण करता है, वह दूसरे के लिए आश्वासन के सुरभित फूल बिखेर जाता है।

जब मैं तरुणी थी और कॉलेज में पढ़ती थी, मैंने अपना यह जीवन-मंत्र लिखा था-मैं भगवान में विश्वास करती हूँ और विश्वास करती हूँ इनसान में, आत्मशक्ति में। मैं मानती हूँ-भगवान के रचे इस विश्व के विषय में एक भी अपशब्द हमारे मुँह से नहीं निकलना चाहिए। किसी को सृष्टि के बारे में शिकायत करने का अधिकार नहीं, क्योंकि प्रभु ने इसे सुंदर बनाया है और हजारों लोगों ने इस सुंदर बनाये रखने का प्रयत्न किया है।”

ये शब्द लिखे बहुत वर्ष बीत गये और इस बीच मैंने बहुत से वियोग और शोक सहे हैं, लेकिन इन्हें बदलने का कारण मुझे आवश्यक प्रतीत नहीं होता। जो भगवान, इनसान और आत्मा में आस्था रखता है, निश्चय ही आशावादी है। कितनी ही पीड़ा उसे क्यों न हो, वह जानता है कि संसार में सत शक्ति का वर्चस् है और सदा अपने को उसी सत शक्ति और प्रभु प्रेम से घिरा पाता है।

-हेलेनकेलर


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