सन् 1990 से लेकर सन् 2000 तक के दस वर्ष जोतने, बोने, उगाने, खाद-पानी डालने और रखवाली करने के हैं। इक्कीसवीं सदी से वातावरण बदल जाएगा, साथ ही परिस्थितियों में भी भारी हेर-फेर होगा। इस सभी के विस्तार में एक शताब्दी लग जाएगी। सन् 2000 से 2011 तक। इस बीच इतने बड़े परिवर्तन बन पड़ेंगे, जिन्हें देखकर जन-साधारण आश्चर्य में पड़ जाएगा।
-नवसृजन के निमित्त महाकाल की तैयार’ से
अगर दुनिया की तारीख पर नजर डालें, तो हम यह पाते हैं कि बड़े-बड़े संकट के दौर दुनिया के सामने आयें हैं और हर जमाने में लोगों ने यही समझा है कि उनका जमाना संसार के इतिहास का सबसे खतरनाक जमाना है। फिर भी दुनिया कायम रही-न सिर्फ कायम रही, बल्कि कई दिशा में आगे बढ़ी, तरक्की की।
ऐसे ही एक जमाने में हम लोग जीते हैं। हो सकता है इसके बुरे और दर्दनाक पहलुओं को जरूरत से ज्यादा अहमियत दे रहे हों और इस बात को न समझ पा रहे हों कि बुराई और दर्द की इस परत के नीचे शायद कुछ अच्छी चीजें कुलबुला रही हैं और मुमकिन है कि उनके अंकुर फूटने ही वाले हों और इंसान को तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ाएँ।
ऐसी आस्था बनाए रखना अच्छा है। ऐसे ढाँढस का लंगर हमें बहुत ज्यादा बह जाने, भटक जाने से रोक सके-यह अच्छा है।
पं. जवाहरलाल नेहरू