योगेश्वर जी उद्धड़ जोशी एक सिद्ध गायत्री सन्त के रूप में गुजरात में प्रख्यात हैं। नर्मदा तट पर चाँदोड़ में वे निवास करते थे तथा गायत्री उपासना में ही रुचि लेते थे। एक बार मन में इच्छा होने पर कि योग्य गुरु मिल जाते तो ठीक रहता, इनके गुरु उनके समक्ष साधना की अवधि में प्रकट हुए व उनके सिर पर स्पर्श कर उन्हें उनके पूर्व जन्मों की उनने जानकारी करायी। पूर्व जन्म में गुरु के द्वारा दिया नाम उद्धड़ साधना, उपासना, उस जन्म की अनुभूतियाँ अब उन्हें याद आती चली गयी। यह भी याद आया कि कैसे एक सुन्दरी, रूपवती युवती के रूप जाल में उलझ कर वे साधना मार्ग से विरत हो गए थे व उन्हें विष देकर मार दिया गया था।
गुरु के पुनः मिलने पर इस जन्म के दयाशंकर का पुनर्जन्म उद्धड़ के रूप में हुआ व जहाँ से साधना छूटी थी, उससे आगे की मंजिल उनने पार की। गायत्री साधना के बाद त्रिकालज्ञ की, भूत-भविष्य ज्ञाता की, सिद्धि उन्हें मिल गयी थी। उनकी वाणी ऐसी सिद्ध हो गयी थी, कि वे जो भी कहते वह होकर रहता था।
युगऋषि पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की सूक्ष्म-कारण शरीर की सत्ता इन दिनों सक्रिय है व जन-जन के मन में उल्लास-प्रेरणा उभारने में लगी है। उनके द्वारा सबको सुलभ किये गए गायत्री मंत्र के तत्वज्ञान को घर-घर पहुँचा कर, युगशक्ति का अवतरण कर निश्चित ही आज की परिस्थितियाँ बदली व संतप्त-दुखी मानव जाति को शक्ति व शान्ति दी जा सकती है।