हमेशा अमर रहेगा (Kahani)

October 1991

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स्वामी रामकृष्ण परमहंस का उपदेश है- “मैं लोगों से कहता हूँ कि लम्बी लम्बी साधना करने की उतनी जरूरत नहीं है। इस छोटी सी गायत्री मंत्र का जप करके देखो। गायत्री का जप करने से बड़ी बड़ी सिद्धियाँ मिल जाती है। यह मंत्र छोटा है, पर इसकी शक्ति भारी है।”

कि महाराज के मुखमण्डल पर अद्वितीय और अलौकिक तेज रहता था। जब वे मौन रहने लगे तब भी

उनके पास कोई शंका, कोई जिज्ञासा लेकर पहुँचने वालों का समाधान आपने आप हो जाता था।

बाबा ने अपने उपदेशों से कई लोगों को गायत्री उपासना में प्रवृत्त किया। मौन रहने पर भी वे आध्यात्मिक उत्कर्ष के आकाँक्षी व्यक्तियों को लिखकर देते थे, लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि हजारों लोगों को गायत्री उपासना में प्रवृत्त करने के बाद भी उन्होंने विधिवत् किसी को शिष्य नहीं बनाया। इस संबंध में उनका यही कहना था कि सबका गुरु परम पिता परमात्मा है, उस का प्रतिनिधि अपने भीतर ही छिपा बैठा है। उसी की शरण में जाने से कल्याण है। व्यक्ति तो माध्यम भर हो सकता है। वस्तुतः गायत्री महाशक्ति की महिमा अपरम्पार है, जो इसे निष्ठापूर्वक अपनाता है सिद्धियाँ स्वतः उस पर बरसने लगती हैं। अनेक तपस्वी साधकों में बूटी सिद्ध महाराज का नाम गायत्री के सिद्ध साधक के नाम से हमेशा अमर रहेगा।


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