चमत्कारी सामर्थ्य का अनुभव (Kahani)

October 1991

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आर्थर कोसलर एक प्रख्यात चिन्तक के रूप में मान्यता प्राप्त विद्वान है। हंगरी में जन्में इस मनीषी ने गायत्री मंत्र की शक्ति पर वैज्ञानिक विवेचन कर इसे सार्वभौम उपासना बताया था। युद्धोन्माद से बढ़ते विश्वव्यापी तनाव को देखते हुए उनने कहा था कि गायत्री मंत्र जिस देश से उत्पन्न हुआ है, वह राष्ट्र यदि नेतृत्व अपने हाथ में ले एवं करोड़ों भारतवासी एक साथ गायत्री का उच्चारण आरम्भ कर दें तो इससे उद्भूत ऊर्जा किसी भी आणविक विभीषिका को टाल सकती है। ब्लिट्ज के सम्पादक श्री करंजिया से साक्षात्कार के दौरान उनने यह कहा था, जिसे अगस्त 1982 के नवनीत में प्रकाशित भी किया गया था।

एक बहुत रहस्यमय ढंग से हमारा अस्तित्व वैश्व चेतना से तादात्म्य बिठाने लगता है। जिसका परिणाम होता है व्यक्तित्व के प्रत्येक हिस्से में बदलाव। दिव्य ज्योति प्रत्येक हिस्से को दिव्यता का रूप देने लगती है। सत्ता के प्रत्येक भाग में संव्याप्त शक्तियों का जागरण काल यही है। शारीरिक क्षमता-भाव और विचारों के सामर्थ्य में कुछ ऐसा बदलाव आने लगता है, जिसे आश्चर्यजनक और अलौकिक कहा जा सके। अनपढ़ गँवार समझे जाने वाले दादू कबीर, रैदास के व्यक्तित्व में आने वाले परिवर्तनों के पीछे यही मनोवैज्ञानिक तथ्य है। यही प्रक्रिया हमारे व्यक्तित्व चरित्र, लक्ष्य, दृष्टिकोण को परिष्कृत परिवर्तित कर ऐसी चेतनात्मक शक्ति का रूप दे सकती है, जिसके बल पर हम स्वयं देवता, ऋषियों जैसे चमत्कारी सामर्थ्य का अनुभव कर सकें।


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