आज से कोई 90 वर्ष पूर्व रामटेकरी (उ.प्र.) के समीप के जंगलों में हरीहर बाबा नामक एक प्रसिद्ध गायत्री साधक रहा करते थे। जिस वन में व गुफा में वे रहते थे, वहाँ आसपास वन्य पशु बहुत थे पर बाबा के दर्शनों हेतु आने वालों को वे जरा भी नहीं छेड़ते थे। जब भी कोई कष्ट कठिनाई में फंसा व्यक्ति आता था, तो वे उसे गायत्री माता की शरण में जाने के लिए कहते थे। अपनी आयु के संबंध में उनने किसी को बताया नहीं, पर लोग ये बताते हैं कि संत कबीर के समय से वे वहाँ रह रहे थे।
उनकी प्रत्यक्ष सिद्धि के बारे में लोगों को थोड़ी बहुत ही जानकारी थी। उनकी गुफा से चार मील दूर तक कोई जलाशय नहीं था पर उनके घड़े में सदा शीतल व मधुर जल भरा रहता था, जो उनके लिए, दर्शनार्थियों के लिए व प्यासे वन्य पशुओं के लिए सदा भरा रहता था। उस जंगल में फलों का प्रसाद लोगों को देते। उनकी गुफा से चमेली के फूलों की सुगन्ध सदैव आती रहती थी। अनेकों नेत्रहीनों को उनने दृष्टि दी। कुष्ठ रोगी भी उनकी कृपा से ठीक हुए। उनने विधिवत् किसी को दीक्षा नहीं दी, पर उन्हें गुरु मानकर गायत्री उपासना करने वालों की संख्या बड़ी है।