स्वप्नों में दिव्य संकेतों का सम्मिश्रण

March 1987

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अधूरी नींद आने पर उनींदी स्थिति में प्रायः सपने आते हैं। पेट में कब्ज रहने या किसी अंग विशेष के दुखने पर भी निद्रा में विक्षेप पड़ता है और सचेतन और अचेतन मस्तिष्क के गड्ड-मड्ड हो जाने से सपनों की श्रृंखला चल पड़ती है। उनमें से कई ऐसे भी होते हैं। जिनका घटित घटनाओं से संबंध होता है। कुछ में चिन्ताएँ एवं इच्छाएँ मूर्तिमान होकर दृश्यमान होती हैं।

किन्तु सभी सपनों के बारे में ऐसी बात नहीं है। कुछ गहरी नींद में आते हैं। श्रृंखलाबद्ध चलते हैं और सार्थक भी होते हैं। ऐसे सपने प्रायः रात्रि के अंतिम चरण में आते हैं। उनकी मन पर गहरी छाप भी पड़ती है, जबकि निरर्थक भी होते हैं। ऐसे सपने प्रायः रात्रि के अंतिम चरण में आते हैं। उनकी मन पर गहरी छाप भी पड़ती है, जबकि निरर्थक होने पर वे बिखरे हुए और धूमिल-विरल होते हैं। उनकी स्मृति दिन चढ़ते-चढ़ते चली जाती है। किन्तु जिनमें कुछ दम होता है वह जगने के उपरान्त भी स्मृति पर छाये रहते हैं और रह-रह कर याद आते रहते हैं।

कइयों के लिए सार्थक सपने पूर्व सूचना के रूप में आते हैं। जो देखा था वह हो चुका होता है या होने वाला होता है। कईयों में सारगर्भित मार्गदर्शन होता है, उसके सहारे अपनी गतिविधियों को जोड़कर खतरे से बचा जा सकता है, अथवा लाभ मिल सकता है। ऐसे सपने प्रायः किन्हीं अदृश्य सहायकों के प्रेरित होते हैं।

मृतात्माओं में कुछ दुष्ट प्रकृति की होती हैं, जो अवसर मिलने पर दिवास्वप्नों के रूप में, उनींदी स्मृति में चिन्ता, भय, निराशा जैसी उत्पन्न करती हैं और आभास कराती रहती हैं, किन्तु जिनका स्तर ऊँचा है उन्हें पितर कहते हैं वे अपनी उदार सद्भावना को चरितार्थ करने के लिये दूसरों की सहायता करने की मनःस्थिति में रहते हैं और साधारण मनुष्यों से कहीं अधिक बढ़ी-चढ़ी अपनी जानकारी के आधार पर ऐसा परामर्श देती रहती हैं, जिसे अपनाकर मनुष्य अधिक अच्छी स्थिति का लाभ उठा सके। किन्तु ऐसे स्वप्न संकेत ग्रहण करने वाले की मनःस्थिति में रहते हैं और साधारण मनुष्यों से कहीं अधिक अच्छी स्थिति का लाभ उठा सके। किन्तु ऐसे स्वप्न संकेत ग्रहण करने वाले की मनःस्थिति संवेदनशील होनी चाहिए। उनमें अदृश्य शक्तियों के साथ ताल-मेल बिठा सकने योग्य मानसिक स्वच्छता होनी चाहिए। कपटी, मायावी, पाखंडी, क्रोधी, आतुर, आवेश ग्रसित व्यक्ति इस संदर्भ में सफल नहीं हो पाते। नशेबाजों का मस्तिष्क भी अस्त-व्यस्त रहता है और वे इस स्थिति में नहीं होते कि अदृश्य संकेतों को आकर्षण कर अवधारण कर सकें।

ऐसी कितनी ही घटनाएँ प्रकाश में आती रहती हैं जिनमें स्वप्न माध्यम से किन्हीं को ऐसी सूचना मिली जिनके सहारे वे आश्वासन और मार्गदर्शन प्राप्त कर सके और उनके सहारे अतिशय लाभान्वित हुए। यदि वह सहायता उन्हें न मिली होती तो वह सुयोग प्राप्त न कर पाते जो उन्हें उपलब्ध हुआ।

17 वीं शताब्दी में फ्राँसीसी रेने देकार्ते गणित संबंधी गूढ़ विषयों पर शोधरत थे। प्रश्न ऐसे पेचीदा थे जिनका हल ढूँढ़ते हुए उन्हें सप्ताहों बीत गये, पर कोई समाधान न मिला। इसी बीच उन्होंने एक सपना देखा जिसमें संकेत रूप में उनके समाधान बताये गये, जिनकी खोज में वे लगे हुए थे। इस आधार पर वे द्विभागीय वैश्लेषिक ज्यामिति का निर्धारण कर सके और गणित क्षेत्र में मूर्धन्य माने गये।

फ्राँस के एक दार्शनिक कोडोरेक्ट ने भी कितनी ही उलझी गुत्थियों के समाधान स्वप्नावस्था में ही पाये थे। वे बहुधा दिन में जिन तथ्यों को ढूंढ़ न पाते उनके संबंध में रात्रि के लिये निर्णय छोड़ देते और सो जाते। सबेरे आते ही प्रतीत होता कि कोई निष्णात उनसे मिला और उलझनों को सुलझा कर रख गया।

16 वीं शताब्दी में इटली के जेरम कार्टिने एक बड़ा ग्रन्थ लिखना आरम्भ किया पर उसमें स्थान-स्थान पर तथ्यों को जोड़ने की आवश्यकता पड़ती थी। वह सामग्री उपलब्ध करना कठिन था। ऐसी दशा में पुस्तक किस प्रकार प्रमाणिक और सर्वमान्य बनती। इस कठिनाई में उनके स्वप्न सहायक होते रहे। समय-समय पर तथ्य सामने आये। वे काल्पनिक और यथार्थवादी होते थे। उनके जुड़ते रहने से पुस्तक सब प्रकार प्रमाणिक बन गई।

अठारहवीं शताब्दी में प्रसिद्ध संगीतज्ञ जिडमेधी वायलिन बजाने में असाधारण प्रतिभा सम्पन्न हुए हैं। उसे किसी ने भी वह कला नहीं सिखाई। वादक का कहना था कि रात्रि के समय कोई अदृश्य सहायक उसे जगाकर संगीत सिखाता रहा। इस आधार पर उसकी प्रगति साधारण रीति में नहीं वरन् चमत्कारी गति से अग्रगामी होती रही। इसका परिणाम उसे अपने समय का सर्वोत्तम संगीतकार बनने के रूप में उपलब्ध हुआ। उसने संगीत शिक्षण पर कुछ पुस्तकें भी लिखीं, जिसमें से ‘दि डेविल्स टूले’ का बहुत प्रसार विस्तार हुआ।

रॉबर्ट लुईस स्टीवेन्सन ने अनेक ग्रन्थ लिखे हैं, जिनमें से कुछ बहुत ही प्रख्यात हुए हैं। इन प्रख्यात ग्रन्थों में लिटिल प्यूपील, वडबीज, मि.हाइड अदि विशेष रूप से प्रख्यात हैं। लेखक का कथन है उसे इन पुस्तकों के प्रकरण, आधार, कथानक एवं उतार-चढ़ाव स्वप्नों के प्रकरण, आधार, कथानक एवं उतार-चढ़ाव स्वप्नों के आधार पर ही हस्तगत होते रहे हैं। उसकी निज की पूर्व तैयारी इनके संबंध में नहीं के बराबर थी और उसने तथ्यों को ढूँढ़ने में भी कोई विशेष प्रयास नहीं किया। फिर भी कृतियाँ असाधारण बन पड़ीं। इनका श्रेय उन स्वप्नों को है जो उन्हें क्रमबद्ध रूप से आते रहे।

अँग्रेज कवि काँलरिज अपने समय में संभ्रान्त सम्मानित कवियों में रहे हैं। उनकी रचनाओं का संकलन ‘कुबला खान’ नाम प्रख्यात है। यह कविताएँ उन्हें कोई आकर स्वप्न में सुनाता था। वे उसी समय उठकर नोट कर लेते थे। जितना अंश भूल जाते उसे दूसरे दिन अपनी समझ से पूरा करते। इसी प्रकार वह रचना पूरी हुई और प्रकाश में आई। जनसाधारण द्वारा सराही और अपनाई गई।

यूनान के दार्शनिक अरस्तू ने अपने ग्रन्थों में कई स्वप्नों की सार्थकता पर प्रकाश डाला है। प्लेटो कहते थे- कि सदा तो नहीं पर कई बार स्वप्नों के माध्यम से मनुष्य को दिव्य संदेश आते हैं और वे जाँच पड़ताल करने पर, तथ्यपूर्ण सिद्ध होते हैं।

स्वप्न विवेचन के संबंध में प्लेटो का ग्रन्थ ‘रिपब्लिक’ ऐसे अनेक सिद्धान्तों पर प्रकाश डालता है जो बहुत ही तथ्य हैं। इसी में उसने लिखा है कि स्वप्न विद्या में भी प्रवीणता प्राप्त की जा सकती है और अविज्ञात को प्रत्यक्ष रूप में देखा जा सकता है। फ्रायड की पुस्तक ‘इन्टर प्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स’ में यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया है कि अचेतन मन की सामयिक, भूतकाल तथा भावी घटनाओं की साँकेतिक जानकारियाँ सम्मिश्रित रहती हैं। स्वप्न प्रायः घटनापरक होते हैं, पर उनमें वस्तुतः कुछ संकेत दिए होते हैं। घटनापरक होते हैं, पर उनमें वस्तुतः कुछ संकेत दिए होते हैं। घटनाओं को संकेत रूप में परिणत कर सकने की सूझबूझ ही स्वप्न विद्या है। इसको कई प्रकार से उलट-पुलट कर के अर्थ करते रहने और तथ्यों के साथ संगति बिठाते रहने की खोज-बीन में किसी भी लगनशील में इतनी प्रवीणता उत्पन्न कर सकती हैं कि वह अपने तथा दूसरों के स्वप्नों का तात्पर्य बता सकें।


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