सन्त विठोवा भगवान कृष्ण के बड़े भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान दर्शन देने उनके घर आए। सन्त अपने वृद्ध माता पिता की सेवा में संलग्न थे। भगवान को घर आया देखकर वे पुलकित हो गए। पर विवेक नहीं गिरा था।
भगवान के लिए उनने पास में पड़ी ईंट उठाकर बैठने के लिए रख दी और कहा अपने कर्त्तव्य धर्म को पूरा कर लूँ तब आपकी पूजा अर्चा करूंगा।
भगवान ईंट पर प्रतीक्षा में बैठे रहे। नियत उत्तरदायित्व से निवृत्त होने पर उनकी पूजा हुई। ईंट वाला विठोवा मंदिर अभी भी प्रख्यात है।