मैं परमात्मा का साक्षात्कार करने की फिकर और प्रतीक्षा में हूँ। पर वह होगा तब जब प्रत्येक मनुष्य के भीतर मुझे दीख पड़ेगा। एक दिन उसने कान में कहा था—"तू अपनी क्षुद्रता के बंधन काट, में भवसागर से तुझे पार कर दूँगा।"