नारी का सन्देश (Sandesh)

March 1987

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......मैं आपकी पत्नी हूँ ,आपकी प्रेयसी हूँ, आपकी माता हूँ, आपकी बहन हूँ, आप की मित्र हूँ

मैं इसलिए बनाई गई थी कि मैं दुनिया को सौम्यता, आश्वासन, गंभीरता, सुंदरता और प्रेम दे सकूँ। लेकिन मैं देखती हूँ कि मेरे अस्तित्व के इस उद्देश्य  की पूर्ति करना मेरे लिए उत्तरोत्तर कठिन होता जा रहा है। सिनेमा तथा टेलीविजन वाले तथा विज्ञापनबाज मेरी जो अन्य विशेषताएँ और गुण हैं, उन सबको भुलाकर मेरा इस्तेमाल केवल एक ही काम के लिए कर रहे हैं-—कामोत्तेजन के लिए। इसके कारण मैं अपमानित हुई हूँ, इसने मेरी आबरू को नष्ट कर दिया है, इसके कारण मैं बच सकने में असमर्थ हूँ, जो आप चाहते हैं कि मैं बनूँ—सुंदरता, प्रेरणा और प्रेम का स्रोत। प्रेम की मूर्ति मेरे पति के लिए, मेरे परमेश्वर के लिए।  मैं फिर से मेरा सही स्थान प्राप्त करने में आपकी मदद चाहती हूँ ताकि जिस उद्देश्य के लिए मेरा सृजन हुआ है, उसको मैं पूरा कर सकूँ।


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