फ्रांस और इटली में युद्ध चल रहा था, इटली की छोटी नदी इर्द थी। गहरी बहुत चौड़ी कम। ग्रामीणों ने उसे पार करने के लिए दो खजूर के ट्ठे लगा रखे थे। फ्रांसीसी फौजें इसी पुल को पार कर इटली के भीतरी क्षेत्रों में प्रवेश करने की योजना बना रही थीं। ग्रामीणों को पता चला तो उनने लट्ठे काट कर नदी में गिरा देने का निश्चय किया। वे कुल्हाड़ी से काटने लगे।
खबर फ्रांसीसी फौजों को लगी तो वे काटना रोकने के लिए गोली चलाने लगे। ग्रामीण बहादुर थे। उनने हार नहीं मानी। काटना जारी रखा। गोलियों से छलनी होकर जब तक काटने वाला नदी में गिर नहीं जाता तब तक वह रुकता नहीं था।
इस प्रकार प्रायः तीन सौ किसान मौत के घाट उतर गए। जवान सभी समाप्त हो गए। एक बुड्ढा बचा। उसने वहाँ पहुँचकर स्थिति देखी तो पाया कि पुल के लट्ठे अधिकांश कट चुके थे। जुड़ा हुआ स्थान थोड़ा-सा ही था। बुड्ढा दौड़ता हुआ गया और उछलकर उस जुड़े हुए स्थान पर कूद पड़ा। झटके से लट्ठा टूट कर नदी में गिर गया। साथ ही वह बुड्ढा भी गिर गया।
गाँव के प्रायः सभी वयस्क इस प्रयास में खप गए। पर पुल टूटने से फ्रांसीसी सेना का हमला रुक गया और आजादी बच गई।