मनुष्य में अन्तर्निहित अलौकिक दिव्य शक्ति

December 1972

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मानव प्राणी यों अन्य प्राणियों की तरह बोलने सोचने वाला पशु मात्र है। कितनी ही बातों में तो वह अन्य जीवों की तुलना में कहीं अधिक पिछड़ा हुआ है, फिर भी उसे सृष्टि का मुकुट मणि बनने का जो सौभाग्य प्राप्त है उसका प्रधान कारण वह अलौकिक शक्ति ही है जिसे परमात्मा ने अपने इस परम प्रिय ज्येष्ठ के रोम-रोम में कूट-कूट कर भरा है। इन्हीं शक्तियों ने उसे स्नेह, सहकारिता, सद्भाव, संयम, परमार्थ जैसे सद्गुण प्रदान किये और उन्हीं के बलबूते वह अनेक भौतिक एवं आन्तरिक समृद्धियों सिद्धियों का अधिपति बन सका। मनस्विता, तेजस्विता की महिमा से सभी परिचित है। आदर्शवादी उत्कृष्टता अपनाकर उपासना और साधना का सहारा लेकर मनुष्य चाहे तो इतना ऊँचा उठ सकता है जहाँ पहुँचने पर उसे सिद्ध पुरुष एवं देवात्मा कहा जा सके।

अतीन्द्रिय शक्ति के चमत्कार किन्हीं किन्हीं में कभी-कभी दीख पड़ते हैं। इनसे यह पता चलता है कि इसके अन्दर ऐसे बीज मौजूद हैं जो साधारण प्राणियों में नहीं होते। दूसरे प्राणी खाना जनना भर जानते हैं अस्तु उनके क्रिया-कलाप भी उतने ही रहते हैं जितनी कि उनके माँस पिण्ड में क्षमता होती है पर मनुष्य के भीतर विचारणा की उच्चस्तरीय जागृति मौजूद है, फलस्वरूप उसकी अन्तर्निहित महिमा भी यदा-कदा झरोखों में से झाँकती दिखाई पड़ जाती है।

आत्म शक्ति से सम्बन्धित अलौकिक एवं अद्भुत क्षमताओं के जब उदाहरण सामने आते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य में अतिरिक्त विशेषताएं मौजूद हैं। यदि उनका विधिवत् विकास किया जा सके तो जो कुछ मनुष्य ने भौतिक एवं बौद्धिक दृष्टि से उपार्जित किया है उससे कहीं अधिक मात्रा में सिद्धियों और सफलताओं से उपलब्ध कर सकता है।

मार्टिन इबोन का पुस्तक- ‘ट्रू एक्सपीरियन्स इन प्रोफेसी’ वालटर जे. मैसी की अनुभूति छपी है जिसमें लेखक की पत्नी द्वारा चाय के प्याले में एक ऐसी भयानक भविष्यवाणी का उल्लेख है जो दो सप्ताह के भीतर ही सच होकर सामने आई। बात यों थी कि एक दिन उनके मित्र मि. हाफमैन चाय पीने के लिए बुलाये गये। चाय छानी ही जा रही थी कि उनकी पत्नी ने उस प्याले में तैरता हुआ एक घटना क्रम फिल्म की तरह देखा- “किसी होटल के मैनेजर को गोली मारकर एक हत्यारा एक कार पर चढ़ कर भाग जा रहा है दो मोटर साईकिल उसका पीछा कर रही हैं। हत्यारे ने पीछा करने वालों पर भी गोली चलाई, उनमें से एक सवार मारा गया। अन्ततः हत्यारा मोटर छोड़कर एक अधबनी झोंपड़ी में घुस गया उसे पड़ौस में रहने वालों ने देखा और पुलिस को पकड़वा दिया।”

दृश्य इतना प्रभावोत्पादक था कि चाय छानते हुए महिला अर्धमूर्छित जैसी हो गई और पात्र उसके हाथ से छूटकर जमीन पर गिर गया। कुछ समय बाद होश आने पर उसने वह सब बताया जो प्याले में देखा था। बात को विस्मय के साथ सुना गया पर उसमें कुछ यथार्थ भी हो सकता है इस पर किसी को विश्वास न हुआ।

उस समय की बात समाप्त हो गई पर महिला के मस्तिष्क पर प्रभाव ज्यों का ज्यों बना रहा। वह यही बात कहती या तो यह घटना हो चुकी है या होने वाली है। अतएव इस अनुभूति से पुलिस को सूचित कर देना चाहिए। पति-पत्नी में दो दिन बाद विवाद चला अन्ततः यह मान लिया गया कि पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी जाये। वे लोग पुलिस दफ्तर पहुँचे और स्वप्न में दीखे हत्यारे की हुलिया तथा पोशाक सहित सारी सूचना प्रस्तुत की तो उन्हें सनकी मात्र समझा गया और बड़ी बेरुखी के साथ उनकी सूचना एक बेकार समझी जाने वाली रिपोर्टों की फाइल में दबा दी गई।

पूरे दो सप्ताह भी न हो पाये थे कि ठीक ऐसी ही घटना का विवरण दैनिक पत्रों में छपा। कैलीफोर्निया के एक होटल के मैनेजर की तिजोरी से बहुत सा धन लूटने और उसे गोली से मार देने का विवरण बड़ा सनसनीखेज था, साथ ही उस समाचार में यह विवरण भी था कि हत्यारे का पीछा करने वाले दो मोटर साईकिल पर सवार पुलिसकर्मियों में से भी एक गोली से मारा गया। बाद में एक अधबनी झोंपड़ी में वह हत्यारा लूट के धन समेत पकड़ा गया।

इस समाचार को पढ़ने के बाद वाल्टर मैसी और उनकी पत्नी पुलिस दफ्तर गये और पन्द्रह दिन पूर्व की उनकी सूचना का विवरण देखने के लिए अनुरोध किया, सारा पुलिस दफ्तर आश्चर्यचकित रह गया कि क्योंकर वह इतने दिन पूर्व की सूचना अक्षरशः सही निकली और पुलिस मैन के मारे जाने तथा रंगे हाथों हत्यारे के पकड़े जाने का घटना क्रम सही निकला। बाद में यह चाय की प्याली का विवरण अखबारों में भी छपा और इस प्रसंग को लेकर पूर्वानुभूती के रहस्य पर चर्चा होती रही।

आगामी 6 अप्रैल सन् 1974 को इंग्लैंड के अति चमत्कारी जादूगर राबर्ट हडची की सौवीं वर्ष गाँठ मनाई जायेगी। अपने समय का वह अद्भुत व्यक्ति था। उसके जीवनकाल में इंग्लैंड के प्रसिद्ध दैनिक पत्र ‘डेली मिरर’ ने उसकी चमत्कारी पर कई प्रकार के लाँछन लगाये थे और आशंका प्रकट की थी। राबर्ट ने उन्हें चुनौती दी फलस्वरूप परीक्षण के समय उसने यह करतब सबके सामने दिखाया कि पूरी सावधानी और मजबूती के साथ हथकड़ी बेड़ियों में जकड़ा गया पर वह दो मिनट में ही उन्हें कच्चे धागे की तरह तोड़कर फेंकने में सफल हो गया। कमरे में बन्द करके बाहर से ताला लगा देने पर भी वह सबके सामने बाहर निकल आया। सुरंगों में बन्द करके बाहर से छेद पूर तरह बन्द कर दिये जाने पर भी वह बाहर निकला तब भी उसने उस अवरोध को तोड़कर सबके सामने उपस्थित होने में सफलता पाई। यह सब कैसे सम्भव हो सका उसका रहस्योद्घाटन उसकी शताब्दी के अवसर पर उस वसीयत द्वारा होगा जो उसने इसी अवसर पर सर्वसाधारण की जानकारी के लिए लिखकर अपने जीवन काल में ही रख दी थी।

योरोप के परा मनोविज्ञान शोध क्षेत्र में पीटर हरकौस अभी भी एक पहेली बना हुआ है। वह न कोई योगी है, न सन्त, न साधक। फिर भी अनायास ऐसी विलक्षण अतीन्द्रिय शक्ति उसे उपलब्ध रही जिसे देखने वाले यह समझ नहीं पाते कि किस विशेषता के कारण वह अविज्ञात बातें बताने में समर्थ हो सका।

पीटर गरीब घर में जन्मा, वह दीवारों पर पुताई करके अपना पेट पालता था, एक दिन दीवार की पुताई करते हुए वह सीढ़ी से गिरा और गहरी चोट आई अस्पताल में भर्ती किया गया। होश आया तो उसने पास के पलंग पर पड़े हुए मरीज से कहा-आपने अपने स्वर्गीय पिता द्वारा उपहार में दी हुई घड़ी बेचकर अच्छा नहीं किया। पिताजी यह आशा करते हुए मरे थे कि लड़का इस उपहार को स्मृति के रूप में सुरक्षित रखेगा। मरीज सन्न रह गया कि यह सर्वथा अपरिचित व्यक्ति उसके निजी जीवन की ऐसी घटना की चर्चा कैसे कर रहा है जिसकी जानकारी उसके अतिरिक्त और किसी को थी ही नहीं। इसी प्रकार पीटर ने एक दिन अपनी नर्स से कहा-आप कल रेल के सफर से लौटी तो सामान में से अटैची को रेल के डिब्बे में ही क्यों भूल आई? नर्स को इस भूल का पता स्वयं भी नहीं था। घर आकर देखा तो सचमुच एक छोटी अटैची रेल में ही छुट गई थी नर्स को उस नुकसान पर इतना दुःख नहीं हुआ जितना कि एक मरीज द्वारा इस प्रकार की आश्चर्यजनक उक्ति पर आश्चर्य।

एक दिन पीटर रेलवे स्टेशन पर था कि एक यात्री को पकड़कर जोर से चिल्लाया- ‘पकड़ो, इसी ने कुछ घण्टे पूर्व महिला की हत्या की है। पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पीछे हत्या का भेद खुला और सचमुच वही व्यक्ति हत्या का दोषी पाया गया। इस प्रकार एक होटल में चाय पीते हुए उसने पास की मेज पर चाय पीते हुए एक साधारण व्यक्ति की ओर घूरकर देखा और चुपके से मैनेजर को बताया कि यह व्यक्ति अंग्रेजी जासूस है इसे तुरन्त पकड़वा दो।’ पीछे उसकी बात सोलह आने सच निकली।

द्वितीय युद्ध के दिनों में उसे संदिग्ध व्यक्तियों की सूची में दर्ज करके जेल भेज दिया गया। वह कैदियों को कितनी ही अद्भुत बातें बताया करता था। एक दिन उसने यों ही कहा कि 4 जून सन् 44 को फ्राँस पर हमला होगा और अन्ततः जर्मनी हार जायेगा। इसमें अन्तर दो दिन का ही पड़ा। हमला 4 जून को न होकर 6 जून को हुआ और जर्मनी की अप्रत्याशित हार हुई। सन् 48 में उसने बेल्जियम पुलिस को सहायता करके जेम्स नामक डाकुओं द्वारा अपहरण किये व्यक्ति की मृत्यु का पता बताया, फलतः हत्यारों को मृत्यु दण्ड मिला। एक दिन बेल्जियम के हवाईअड्डे पर वह चिल्ला रहा था इस हवाई जहाज पर कोई न चढ़े। यह एक घण्टे बाद ही जलकर नष्ट हो जायेगा। तब उसे पागल का प्रलाप भर समझा गया, पर आश्चर्य कि सचमुच ही उस जहाज का उसी प्रकार जलकर दुखद अन्त हुआ।

साधना तपस्या से कई विशेष व्यक्ति असाधारण शक्ति प्राप्त करते हैं पर पीटर की अनायास ही उपजी सहज अतीन्द्रिय चमत्कारिता कोई अविज्ञात कारण अपने गर्भ में छिपाये बैठी है।

विज्ञान वेत्ता जे.वी. राइन और उनकी पत्नी लुई ई. राइन ने मिलकर उस सम्बन्ध में भारी शोध की है कि स्वप्नों में कई बार ऐसे संकेत क्यों मिलते हैं, जिनमें भविष्य में घटित होने वाली पूर्व सूचनाओं का संकेत होता है। यह डॉक्टर राइन विज्ञान अन्वेषण के कार्य में निरत थे पर जब उनकी पत्नी ने ऐसी दर्जनों घटनाओं का विवरण सुनाया जिनमें स्वप्नों की सार्थकता सिद्ध होती थी तो उनने अपने अन्वेषण का क्षेत्र बदलकर स्वप्नों में पूर्वाभास को अपना विषय बना लिया और लगभग 4000 ऐसी घटनाओं का संग्रह प्रकाशित किया है जिनमें स्वप्नों के माध्यम से लोगों को भवितव्यता की पूर्व सूचना प्राप्त हुई थी।

डॉ. राइन ने अपने अन्वेषण पर कितनी ही विज्ञान गोष्ठियों में भाषण दिये और इस संदर्भ में अधिक गहरी शोधें किये जाने की आवश्यकता बताई। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन (बी.बी.सी.) के माध्यम से उनके कई भाषण इंग्लैंड के रेडियो से भी प्रसारित हुए।

राइन के शोध निष्कर्षों में तीन बातें प्रमुख हैं एक यह कि मनुष्य के अन्दर कोई ऐसी अविज्ञात चेतना विद्यमान है जो सुदूर क्षेत्र तक अपना सम्बन्ध सूत्र बनाये हुए है और वह उपयुक्त अवसरों पर रहस्यमयी घटनाओं का उद्घाटन कर सकती है। दूसरा यह कि परस्पर घनिष्ठ व्यक्तियों में सहज ही, तथा मनस्वी लोगों द्वारा प्रयत्न पूर्वक मनःस्थिति का आदान-प्रदान हो सकता है। तीसरा यह कि पुरुषों की अपेक्षा यह अतीन्द्रिय शक्ति महिलाओं में कहीं अधिक बढ़ी-चढ़ी होती है। विशेषतया उनमें जो धार्मिक रुचि अधिक लेती हैं।

स्वप्नों की सार्थकता पर ऐसी ही शोधें अन्य अन्वेषकों ने भी की हैं और उनने अपनी ढूंढ़ खोज का विवरण पुस्तकाकार छपाया है। ऐसी पुस्तकों में ड्यू मारियर की ‘पेटर टूवेट् एन’ और किपलिंग की ‘ब्रश वुड व्वाय’ पुस्तकें प्रसिद्ध हैं।

दूरवर्ती स्वजनों के साथ घटित होने वाली घटनाओं तथा भवितव्यताओं का पूर्वाभास कितनी ही बार ऐसे विचित्र ढंग से सामने आता है कि न तो उन्हें झुठलाया जा सकता है और न उनका आधार अथवा कारण समझ में आता है।

इस संदर्भ में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डॉ. नेलसन वाल्ट का कथन है कि-मनुष्य के अन्दर एक बलवती आत्म-चेतना रहती है, जिसे जिजीविषा एवं प्राणधात्री शक्ति कह सकते हैं। यह न केवल रोग निरोध अथवा अन्य आत्म रक्षा जैसे अस्तित्व संरक्षण के अविज्ञात साधन जुटाती है वरन् चेतना जगत में चल रही उन हलचलों का पता लगा लेती है जो अपने आगे विपत्ति के रूप में आने वाली हैं। पूर्वाभास बहुधा अपने ऊपर तथा अपने सम्बन्धियों के ऊपर आने वाले संकटों के ही होते हैं। सुख सुविधा की परिस्थितियों का ज्ञान कभी-कभी या किसी-किसी को ही हो पाता है।


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