अखण्ड ज्योति के सदस्य स्वजनों से विशेष अनुरोध

December 1972

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(भगवती देवी शर्मा)

इस अंक के साथ अखण्ड ज्योति के अधिकाँश ग्राहकों का चन्दा समाप्त हो जाता है। नये वर्ष का चंदा यथासंभव जल्दी ही, हो सके तो दिसम्बर में ही भेजना चाहिए ताकि जनवरी का अंक उतनी ही संख्या में छपाया जाये जितने कि पत्रिका के स्थायी ग्राहक हों।

जिनका चंदा बीच के किसी महीने में समाप्त होना है, उन्हें दिसम्बर, 73 तक का हिसाब चुकता करने के लिए जितना पैसा और भेजना है उतना और भेज दें ताकि जनवरी से दिसम्बर तक का ही क्रम अन्य ग्राहकों की तरह उनका भी चल पड़े।

वी पी से अखण्ड ज्योति मँगाने में लगभग सवा रुपया अतिरिक्त डाकखर्च मंगाने वाले पर पड़ता है जो बिल्कुल निरर्थक है। चंदा जहाँ तक सम्भव हो पोस्टल आर्डर से ही भेजना चाहिए। अधिक ग्राहकों का चन्दा एक साथ भेजना हो तो बैंक ड्राफ्ट से भेजना जहाँ काफी सस्ता पड़ता है, वहाँ जल्दी पहुंचने के कारण पत्रिकाएं भी तुरन्त चालू हो जाती हैं,। मनीआर्डर तो इन दिनों काफी लेट पहुँचने लगे हैं।

जहाँ अधिक संख्या में पत्रिका जाती हैं वहाँ थोड़े अंक हों तो रजिस्ट्री से अधिक अंक हों तो रेलवे पार्सल से मंगाने चाहिए। और उनके वितरण की परस्पर व्यवस्था कर लेनी चाहिए , इससे अंकों के रास्ते में खोने का डर नहीं रहता।

हममें से हर एक को यह ध्यान रखना चाहिए कि अखण्ड ज्योति गुरुदेव की वाणी है। अपनों से अपनी बात स्तम्भ के अतिरिक्त प्रायः सभी लेख उनकी लेखनी के रहते हैं। इस विचारधारा को स्वयं भावना पूर्वक हृदयंगम करना और अपने परिचय क्षेत्र में उसका प्रकाश अधिकाधिक व्यापक बनाना हममें से प्रत्येक का परम, पवित्र कर्तव्य है। पुराने ग्राहकों से चंदा वसूल करने और नये ग्राहक बनाने के अभियान पर टोली बना कर निकलने का अभियान हमें इन्हीं दिनों प्रारम्भ करना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए छपी हुई रसीद बहियाँ मँगा लेनी चाहिए। गतवर्ष की अपेक्षा इस वर्ष अपने क्षेत्र में अधिक अखण्ड ज्योति के सदस्य हों इसके लिए प्रत्येक परिजन को शक्ति भर प्रयत्न करना चाहिए।

बसन्तपर्व गुरुदेव का युग निर्माण आन्दोलन का जन्मदिन है। उसे हम सब भाव भरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। उस अवसर पर सर्वोत्तम श्रद्धाँजली अखण्ड ज्योति की सदस्य संख्या बढ़ाने के रूप में ही विश्वयात्रा का प्रथम चरण करके वापस लौटेंगे। इस बीच में हमें अपनी सक्रियता का एक प्रमाण इस रूप में विनिर्मित कर लेना चाहिए कि किसने उनकी वाणी अखण्ड ज्योति को अधिक व्यापक बनाने के लिए क्या प्रयत्न पुरुषार्थ किया। इस प्रयास के लिए टोली बनाकर निकलना अधिक सफल और कारगर तरीका है।

आशा है उपरोक्त अनुरोधों पर परिजन समुचित ध्यान देंगे।

-भगवती देवी


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