खलीफा उमर वेश बदलकर प्रजा की स्थिति देखने के लिये जाया करते थे। वे एक दिन ऐसे गरीब घर पहुँचे, जहाँ एक स्त्री बीमार फर्श पर पड़ी थी, तीन छोटे बच्चे बिलख रहे थे, चूल्हे पर हाँड़ी चढ़ी थी।
खलीफा ने देखा हाँड़ी में खाली पानी उबल रहा है। बच्चे को बहला देने के लिए उसने भोजन बनने का यह बहाना हो रखा था, बच्चे भूख से खीज रहे थे। स्त्री बीमारी की वजह से कुछ कर सकने में असमर्थ थी।
इस दयनीय दशा को देखकर खलीफा ने उस स्त्री से पूछा-तुम अपनी कष्ट कथा कहने और सहायता माँगने खलीफा के पास क्यों नहीं गई?
बीमार महिला ने कहा-क्या मुझे ही जाना जरूरी है। जो खलीफा मेरे पति को लड़ाई में जान देने के लिए यहाँ आकर ले जा सकते थे क्या उनके लिए यह उचित नहीं था कि उसकी विधवा और बच्चों की खोज खबर रखें।
खलीफा का सिर शर्म से नीचे झुक गया और उन्होंने तुरन्त ही उस महिला के निर्वाह का उचित प्रबन्ध कर दिया।