हम सब यह साहित्य अपने घर रखें ही।

December 1972

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जन मानस का भावनात्मक परिष्कार करने के लिये युग निर्माण योजना द्वारा जो सत् साहित्य छापा गया है वह कितना तथ्यपूर्ण एवं प्रेरक है, इसे हम सभी जानते हैं। देश विदेश में मिशन के प्रति जो प्रगाढ़ श्रद्धा विकसित हुई है उसका श्रेय उस नैतिक, बौद्धिक एवं सामाजिक क्राँति के महान अभियान को है; जिसके आधार पर मानव जाति के उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएं स्पष्ट दीखने लगी हैं। कहना न होगा कि यह व्यापक प्रकाश युग निर्माण साहित्य द्वारा ही फैला है। यह चिनगारियाँ जहाँ भी गिरी हैं वहाँ ज्योतिर्मयी दावाग्नि धधकी है। करोड़ों व्यक्तियों के जीवन क्रम को इसी साहित्य ने मोड़ा मरोड़ा है। मनुष्य में देवत्व के उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण का स्वप्न अब साकार होता दीख रहा है। इसके पीछे युग निर्माण साहित्य का ही मजबूत हाथ है। विज्ञ समाज में एक स्वर से इस साहित्य के युगान्तरकारी प्रभाव को समझा स्वीकारा जा रहा है।

युग-निर्माण के प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य है कि इस साहित्य को अधिकाधिक व्यापक बनाने के लिये प्राणपण से प्रयत्न करे। जिनके पास अखण्ड ज्योति युग -निर्माण पत्रिकायें पहुँचती हैं उनका कर्तव्य है कि कम से कम दस व्यक्ति एक प्रति को पढ़ें और अधिकाधिक नये ग्राहक बनाये। इसके लिये निरन्तर प्रयत्न करते रहा जाय परिवार कि सदस्यता की फीस दस पैसा और एक घण्टा समय नित्य देना है। यह दोनों ही अनुदान अपने घर में ज्ञान मन्दिर पुस्तकालय की स्थापना के लिये नियमित रूप से धन कि व्यवस्था रखने तथा नित्य जन संपर्क स्थापित करके उस साहित्य को पढ़ाने सुनाने के लिये ही है। हममें से प्रत्येक को इस प्रारम्भिक कर्तव्य पालन के लिये पूरी तरह जागरुक रहना चाहिए।

झोला पुस्तकालय और ज्ञान रथ, चल पुस्तकालय इसी साहित्य के चलने चाहिये। हम लोग पुस्तक विक्रेता नहीं वरन् एक विशेष मिशन के सृजन सेनानी हैं हमें अपना लक्ष्य पूरा कर सकने वाले साहित्य पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहिये और उसका जिस प्रकार जितना अधिक प्रसार हो सकता हो उसके लिये प्रयत्न करना चाहिये। जहाँ भी शाखा संगठन हैं वहाँ चल पुस्तकालय के माध्यम से उसे पढ़ाने तथा बेचने का कार्य पूरे उत्साह के साथ चलाना चाहिये ताकि अभियान के प्रभाव क्षेत्र अधिकाधिक विस्तृत हो सकें।

युग निर्माण योजना द्वारा अब तक छपे साहित्य का विवरण इस प्रकार है। उसमें से जिनके पास जो पुस्तकें कम हैं उन्हें मँगाकर अपने घरेलू अथवा सार्वजनिक पुस्तकालयों की पूर्ति कर लेनी चाहिये।

जीवन - निर्माणकारी अमूल्य साहित्य

जीवन-निर्माण की दिशाएँ प्रेरणाएं देने वाला सशक्त साहित्य जिसे पढ़कर नया प्रकाश ही मिलता है। आकर्षक छपाई, मोटा रंगीन आवरण , मूल्य प्रत्येक का दो-दो रुपया।

1. ज्ञान क्रान्ति के अग्रदूत। 2. मानवता जिनकी ऋणी। 3. विश्व की महान विभूतियाँ। 4. विश्व की महान महिलाएं। 5. शौर्य और साहस के सुदृढ़ स्तम्भ 6. पीड़ित मानवता के अनन्य सेवक। 7. पुरुषार्थी और पराक्रमी व्यक्तित्व।8 राष्ट्र मन्दिर के कुशल शिल्पी। 9. परिस्थितियाँ बाधक थी पर वे रुके नहीं 10. धर्मोद्धारक और संस्कृति संरक्षक। 11. महापुरुषों के अविस्मरणीय संस्मरण। 12. स्मरण जो भुलाये न जा सकेंगे। 13. कर्तव्य धर्म की आख्यायिकाएं। 14. आत्मोत्कर्ष की गौरव गाथायें। 15. दिव्य अनुभूतियां और दिव्य संदेश। 16. गृहस्थ सुख की साधना। 17. तमसो मा ज्योतिर्गमय। 18. प्रेम ही परमेश्वर है। 19. अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाय। 20. ईश्वर और उसकी अनुभूति। 21. मानव जीवन निरर्थक न चला जाय। 22. नियोजित परिवार। सुखी परिवार। 23. रुग्ण समाज और उसका कायाकल्प। 24. भारतीय संस्कृति की रूपरेखा। 25. महाकाल और युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया। 26. कल्प चिकित्सा। 27. प्रेरणाप्रद कथा-गाथाएं। 28. साहसी जीतता है। 29. जीवन की सर्वोत्तम आवश्यकता आत्मज्ञान। 30. हम उनकी जय गायें। 31. सुख का आधार सुसंस्कृत परिवार। 32. सेवा सौजन्यता के सन्देशवाहक। 33. प्रेरणा भरे पावन प्रसंग। 34. जागो प्रहरी। 35. युग-गायन। 36. सुख शान्ति की साधना। 37. सद्गृहस्थ की साधना। 38. नशेबाजी की दूषित दुष्प्रवृत्ति। 39. जागृति गान। 4. नेक बनें नेक की राह चलें 41. क्या खायें? क्यों खायें? कैसे खायें? 42. अन्तरंग जीवन का देवासुर संग्राम। 43. भव्य समाज की नव्य रचना। 44. जिन्दगी जीने की कला। 45. अर्थ अनुशासन सीखिये। 46. सद्गुणों की सच्ची सम्पत्ति। 47. सुनसान के सहचर 48. नारी को सुशिक्षित एवं स्वावलम्बी बनाया जाय। 49. भारतीय संस्कृति की रक्षा कीजिये। 50. सर्वोपयोगी सुलभ साधना। 51. अन्धविश्वास को उखाड़ फेंकिये। 52. आस्तिकता मानव-जीवन की अनिवार्य आवश्यकता। 53. शौर्य और साहस के प्रसंग। 54. हम बदलें तो दुनिया बदले। 55. अविस्मरणीय संस्मरण। 56. काव्य कैलाश। 57. प्रगतिशील महिलाएँ। 58. धर्माचरण से ही कल्याण होगा। 59. प्रगति के पथ पर। 60. दीर्घ जीवन के रहस्य। 61. प्रेरक लघुकथाएँ। 62. हम समर्थ और सशक्त कैसे बनें। 63. चमत्कारों की जननी संकल्प शक्ति। 64. केवल अपने लिये ही न जियें। 65. मनुष्य में देवत्व का उदय। 66. युग की पुकार अनसुनी न करें 67. प्रेरक पौराणिक कथाएँ। 68. श्रद्धांजलि। 69. स्वस्थ और समर्थ जीवन। 7. मर्म -स्पर्शी संस्मरण। 71. विवाहोन्माद के असुर से जूझा जाय। 72. हृदय स्पर्शी भाव-कथाएँ। 73. विचारों की अपार अद्भुत शक्तियाँ। 74. प्रगति पथ के पथिक। 75. आदर्श विवाहों की रूपरेखा। 76. भावी पीढ़ी का नव निर्माण। 77. मन और उसकी प्रचण्ड शक्ति। 78. पर्व और त्यौहारों की साँस्कृतिक पृष्ठभूमि। 79. मनोविकार और उनसे छुटकारा। 8. माता-पिता कर्तव्य और उत्तरदायित्व। 81. आसन और प्राणायाम। 82. कर्म योग और कर्म कौशल। 83. बालकों का भावनात्मक निर्माण। 84. सामूहिक चेतना की अनिवार्य आवश्यकता। 85. जो जियें वे जीने की कला सीखें।

नव निर्माण के अत्यन्त के सस्ते ट्रैक्ट

नव निर्माण के शतसूत्री कार्यक्रमों को व्यापक बनाने के लिए लागत मात्र मूल्य के अत्यन्त सस्ते, सुन्दर आकर्षक और प्रेरणाप्रद ट्रैक्ट छापे गये हैं, इन्हें स्वयं पढ़ना और दूसरों को पढ़ाना या सुनाना जन मानस को सुसंस्कृत एवं परिमार्जित करने के लिए आवश्यक है। मूल्य प्रत्येक का पच्चीस पैसा

आध्यात्मिक एवं साधनात्मक

1. प्रेम ही परमेश्वर है। 2. हम ईश्वर से विमुख न हों। 3. हम सच्चे अर्थों में आस्तिक बनें। 4. उपासना जीवन की अनिवार्य आवश्यकता। 5. जीवन लक्ष्य और उसकी प्राप्ति। 6. जीवन लक्ष्य भुला न दिया जाय। 7. आन्तरिक सुख ही वास्तविक सुख। 8. ज्ञान योग की साधना। 9. कर्म योग की रीति-नीति। 10. भक्ति योग का वास्तविक स्वरूप। 11. मनुष्य में देवत्व। 12. अपूर्णता की ओर 13. मरने से डरना क्या। 14. उद्धरेदात्मनात्मानम्। 15. आत्मा की पुकार अनसुनी न करें। 16. धर्म-रक्षा से आत्मा-रक्षा होगी। 17. मन की तुष्टि आत्मा की दुर्गति। 18. उत्कृष्ट और परिष्कृत जीवन। 19.अमृत और पारस। 20. जीवन श्रेष्ठ और सार्थक बने।

जीवन-निर्माण -

1. अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा। 2. चरित्र का निर्माण सबसे बड़ा निर्माण। 3. पहले अपने को सुधारें। 4. कलात्मक जीवन जियें। 5. सज्जनता की राह। 6. सद्गुण बढ़ायें- सुसंस्कृत बनें। 7. प्रतिष्ठायें प्राप्त करें। 8. अपना दृष्टिकोण बदलें। 9. स्वार्थ और परमार्थ का समन्वय। 10. मनोबल की चमत्कारी शक्ति। 11. अति भावुकता से सावधान। 12. विचारों की उत्कृष्टता प्रगति का मूलमन्त्र। 13. समस्यायें अनेक- हल एक। 14. हम सुख शाँति से वंचित क्यों हैं? 15. सुखी इस तरह रहा जा सकता है। 16. हम सशक्त और साहसी बनें। 17. मन के हारे हार है मन के जीते जीत। 18. धैर्य सब सफलताओं का मूल है। 19. सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है। 20. जिन्दगी हँसते-खेलते जियें। 21. सत्य ही जीतता है, असत्य नहीं। 22. अपना उत्साह शिथिल न होने दें। 23. निराशा को पास न फटकने दें। 24. आलस्य छोड़िये परिश्रमी बनिये। 25. आराम नहीं काम कीजिए। 26. ईमानदारी का परित्याग न करें। 27. अशिष्टता न कीजिये। 28 मर्यादाओं का उल्लंघन न करें। 29. प्रतिकूल परिस्थितियों में उद्विग्न न हों। 30. स्वाध्याय में प्रमाद न करें। 31. झूठी आलोचनाओं से परेशान न रहें। 32. उतावली न करें- उद्विग्न न हों। 33. दूसरों के दोष दुर्गुण ही न देखा करें। 34. मत असन्तुष्ट रहिये, मत खिन्न हूजिये। 35. हम भाग्यवादी नहीं, कर्मवादी बनें 36. आवेशग्रस्त होने से अपार हानि 37. अहंकार में डूब मत जाइये। 38. असन्तोष की आग में न जलें। 39. कठिनाइयों से डरिये नहीं- लड़िये। 40. न डरिये न अशान्त हूजिये। 41. धरती पर स्वर्ग।

स्वास्थ्य-रक्षा -

1. शरीर को स्वच्छ रखें। 2. कपड़ों से जकड़े न रहिये। 3. श्वाँस सही तरीके से लीजिये। 4. आरोग्यता का आधार शारीरिक श्रम। 5. व्यायाम हमारी अनिवार्य आवश्यकता। 6. सर्वोपयोगी सरल व्यायाम। 7. आहार में असंयम न बरतें। 8. खाया कैसे जाय। 9. दूध पियें, तो इस तरह। 10. स्वस्थ रहना है, तो यह खाइये। 11. खाते समय इन बातों का ध्यान रखिये। 12. शाकाहारी व्यंजन। 13. कब्ज से कैसे बचें और कैसे छूटें। 14. हमारी एक महत्वपूर्ण आवश्यकता, संयम। 15. ब्रह्मचर्य जीवन की अनिवार्य आवश्यकता। 16. मानसिक स्थिति का स्वास्थ्य पर प्रभाव। 17. हम दुर्बल नहीं शक्तिशाली बनें। 18. सशक्त दीर्घजीवन का राजमार्ग। 19. शतायु जीवन का राजमार्ग। 20. हमारा स्वास्थ्य संकट और उसका समाधान, 21. तुलसी के चमत्कारी गुण। मू. 40 पै.

रचनात्मक प्रवृत्तियाँ -

1. समय का सदुपयोग करें। 2. बोलिये तो इस तरह 3. परोपकारी और सेवाभावी बनिये। 4. काम आयेंगे अपने ही हाथ। 5. मित्रता क्यों, कैसे और किससे? 6. मित्रता करें पर समझ बूझकर 7. जीतेंगे हिम्मत वाले। 8. दुर्दैव को चुनौती। 9. जो करें मन लगाकर करें। 10. विनोद और उल्लास की प्रवृत्तियाँ। 11. अपने दोषों को ढूंढ़ें और निकालें। 12. मनुष्य क्या पशुओं से भी गिरा रहेगा। 13. स्वच्छता मनुष्यता का प्रथम गुरु मन्त्र। 14. गंदगी की घृणित असभ्यता 15. अनर्थकारी गलतफहमियों से बचे रहें। 16. बुराइयों के अन्धकार में प्रकाश की किरणें 17. प्रशंसा की सृजन शक्ति से आश्चर्यजनक सुधार। 18. कामना और वासना की मर्यादा। 19. सन्तोषी सर्वदा सुखी। 20. बुढ़ापे से टक्कर लीजिए।

युग-निर्माण योजना -

1. हमारी शतसूत्री युग-निर्माण योजना। 2. हमारा युग निर्माण सत्संकल्प। 3. युग-निर्माण का आधार व्यक्ति निर्माण। 4. लोक निर्माण के लिये जन-गायन। 5. नव-निर्माण के लिये जन सम्मेलन। 6. सत्कार्यों का अभिनन्दन किया जाय। 7. ज्ञान-यज्ञ का उद्देश्य और स्वरूप। 8. उत्तर साहित्य से संपर्क स्थापित कीजिये। 9. पुस्तकालय सच्चे देवालय। 10. झोला पुस्तकालय-अमृत कलश। 11. गोरस बेचन हरि मिलन-एक पन्थ दो काज। 12. प्रबुद्ध व्यक्ति धर्म तन्त्र संभालें। 13. उनसे जो पचास के हो चले। 14. छात्रों का निर्माण अध्यापक करें। 15. साधु की महान् परम्परा और जिम्मेदारी। 16. ब्राह्मण अपना उत्तरदायित्व संभालें। 17. मन्दिर जन-जागरण के केन्द्र बनें। 18. दर्शन तो करें पर इस तरह। 19. नारी को तिरस्कृत न किया जाये। 20. क्या नारी इसी दुर्दशा में पड़ी रहेगी? 21. नारी उत्थान के लिए महिलायें आगे आयें। 22. अन्धविश्वास से लाभ कुछ नहीं हानि अपार है। 23. अन्धविश्वासी नहीं विवेकशील बनिये। 24. टोना टोटका जन्तर मन्तर। 25.पक्षपात त्यागें औचित्य अपनायें। 26. व्यक्तिवाद नहीं- समूहवाद। 27 हरिजन उत्कर्ष के लिए बड़े कदम उठें। 28. निरक्षरता का कलंक धो दिया जाय। 29. विद्या की सम्पत्ति बढ़ाते ही चलें। 30. भिक्षा व्यवसाय देश-जाति का कलंक। 31. सन्तान की संख्या न बढ़ाइये। 32. खाद्य समस्या और उसका हल। 33. शाक उगायें अन्न बचायें। 34. वृक्षारोपण एक परम पुनीत पुण्य। 35 बाल-विवाह की भयंकरता से समाज को बचाया जाय। 36. तम्बाकू एक भयानक दुर्व्यसन। 37. मृतकभोज की क्या आवश्यकता? 38. प्राणियों के प्रति निर्दयता न करें। 39. पशु बलि हिन्दुओं का कलंक। 40. माँसाहार मानवता के विरुद्ध है। 41. नया युग कब और कैसे? 42. युग परिवर्तन का सूत्रधार अथवा नया अवतार। 43. युग परिवर्तन एक सुनिश्चित सम्भावना। 44. युग पुरुष हमारे गुरुदेव। 45 युग निर्माण योजना एक परिचय, एक झाँकी। 46. युग निर्माण योजना का गायत्री यज्ञ अभियान।

विवाहान्दोलन-

1. तीन दिन का सत्यानाशी विवाहोन्माद। 2. विवाह शादियों का असह्य अपव्यय। 3. विवाहोन्माद के लिये बुद्धि बेच क्यों दी जाय। 4. इस हृदयद्रावक स्थिति को कब तक सहा जायेगा? 5. यह कुरीतियाँ मिट रही हैं और मिटेंगी। 6. विवाहों का वातावरण धर्मानुष्ठान जैसा रहे। 7. विवाह के आदर्श और सिद्धान्त। 8. आदर्श विवाहों की रूपरेखा। 9. आदर्श विवाहों का प्रचलन कैसे हो? 10. प्रगतिशील जातीय संगठनों की आवश्यकता। 11. क्या विधवा विवाह शास्त्र विरुद्ध है? 12. उच्च शिक्षित कन्या की विवाह समस्या।

पारिवारिक समस्याएं -

1.सौभाग्य का द्वारा सम्मिलित परिवार। 2 संगठित परिवार स्वरूप और आदर्श। 3. आदर्श परिवार की मर्यादायें। 4. परिवार को सुसंस्कृत बनायें 5. परिवार को सुसंस्कृत कैसे बनायें? 6. परिवार का पालन ही नहीं निर्माण भी। 7. धन का उपार्जन व उपयोग 8. बचत ही आपकी असली आय है। 9. खर्च करना भी सीखिए। 10. अपनी आर्थिक स्थिति डगमगाइये मत। 11. कर्ज से छुटकारा पाना ही ठीक है। 12. अपव्यय का ओछापन। 13. गृहस्थ एक योग साधना। 14. धन्योगृहस्थाश्रमः 15. गृहस्थाश्रम एक कर्त्तव्य धर्म। 16. गृहस्थ ही नहीं सद्गृहस्थ बनें। 17. दाम्पत्य जीवन में स्वर्ग का अवतरण। 18. सुखी और सफल दाम्पत्य जीवन। 19. सुयोग्य नारी सुखी गृहस्थ। 20. यत्र नार्यास्तु पूज्यन्ते ......। 21. पतिव्रत की महिमा पत्नीव्रत की गरिमा। 22. तेजस्वी और मनस्वी सन्तति। 23. पुत्र की कामना से उद्विग्न क्यों? 24. छोटी उम्र में बड़े काम। 25. वे गरीब बच्चे कैसे महान् बनें? 26. बच्चों का भावनात्मक विकास। 27. बच्चों का निर्माण घर की पाठशाला में। 28. बच्चों का प्रशिक्षण घर की पाठशाला में। 29. बच्चों को बिगड़ने न दें। 3. बच्चों को सद्गुणी कैसे बनावें?

जीवन चरित्र ट्रैक्टमाला

युग-निर्माण योजना का उद्देश्य राष्ट्र की भावी पीढ़ी को सशक्त, समर्थ और विचारवान बनाना है। यह तेजस्विता महापुरुषों की जीवन शैलियों के अनुसरण से सम्भव होती है। इन पुस्तकों का मूल्य चालीस-चालीस पैसा रखा गया है।

महापुरुष और सन्त -

1. महात्मा गौतम बुद्ध, 2. महापुरुष ईसा, 3. जगद्गुरु शंकराचार्य, 4. महाप्रभु चैतन्य, 5. महावीर स्वामी, 6. सन्त कबीर, 7. सन्त तुकाराम, 8. समर्थगुरु रामदास, 9. रामकृष्ण परमहंस, 10. स्वामी विवेकानन्द, 11. स्वामी रामतीर्थ, 12. प्रभु जगद्बन्धु, 13. ठाकुर दयानन्द, 14. गुरुनानक, 15. सन्त नामदेव।

समाज सुधारक और मार्ग दर्शक -

1. राजाराम मोहनराय, 2. स्वामी दयानन्द, 3. केशवचन्द्र सेन, 4. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, 5. महर्षि कर्वे, 6. ठक्कर बापा, 7. सर गंगाराम, 8. जुगल किशोर बिरला, 9. मास्टर प्रभुदयाल।

राष्ट्र नेता और देशभक्त -

1. दादाभाई नौरोजी, 2. महादेव गोविन्द रानाडे, 3. लोकमान्य तिलक, 4. महात्मा गाँधी, 5. गोपाल कृष्ण गोखले, 6. मदनमोहन मालवीय, 7. अरविन्द घोष, 8. ला. लाजपत राय, 9. सरदार पटेल, 10. बा. राजेन्द्र प्रसाद, 11. देशबन्धु चितरंजनदास 12. सुभाषचन्द्र बोस, 13. गणेश शंकर विद्यार्थी, 14. स्वामी श्रद्धानन्द, 15. विनोबा भावे, 16. जमनालाल बजाज, 17. पुरुषोत्तमदास टण्डन, 18. विश्वेश्वरैया, 19. वीर सावरकर, 20. महापुरुष एंड्रयूज, 21. प्रफुल्लचन्द्र राय, 22. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, 23. बाबा राघवदास, 24. देशभक्त राधामोहन गोकुलजी 25. स्वामी केशवानन्द, 26. स्वामी सहजानन्द।

साहित्यिक और ऐतिहासिक महापुरुष -

1. रवीन्द्रनाथ ठाकुर, 2. बंकिमचन्द्र चटर्जी, 3. वीर शिवाजी, 4. दुर्गादास, 4 गुरु गोविन्द सिंह।

महान् नारियाँ -

1. महारानी अहिल्याबाई, 2. रानी लक्ष्मीबाई 3 रानी दुर्गावती, 4. राष्ट्रमाता कस्तूरबा, 5. श्रीमती ऐनीबेसेंन्ट, 6. सरोजिनी नायडू, 7, सिस्टर निवेदिता, 8 अवन्तिकाबाई गोखले, 9. जानकीमैया।

विदेशी महापुरुष -

1. अब्राहम लिंकन 2. महापुरुष मेजिनी, 3. गैरी वाल्डी, 4. महर्षि कार्लमार्क्स, 5. ऋषि टॉलस्टाय, 6. महापुरुष लेनिन, 7. सन्त सुकरात, 8. महात्मा फ्राँसिस, 9. मार्टिन लूथर, 10. पवित्रात्मा बहा, 11. कर्मवीर कोलम्बस, 12. कमाल पाशा, 13. टोयोहिकी कागाबा, 14. बुकर टी. वाशिंगटन, 15. मार्टिन लूथर किंग, 16. फ्लोरेंस नाइटिंगेल, 17. डॉ. सनयात सेन, 18. गोल्डामेयर।

गीत और संगीत

रचनात्मक प्रेरणायें देने वाले गीत, रिकार्ड गीत तथा स्टेज पर खेले जाने वाले संगीत नाटिकायें। मूल प्रत्येक का अस्सी अस्सी पैसा।

1. भगवान राम 2. भगवान शिवशंकर 3. भगवान् श्रीकृष्ण 4. गंगावतरण 5. दहेज का दानव 6. महाराजा हरिश्चन्द्र 7. नवनिर्माण के रिकार्ड गीत।

सचित्र पुस्तकें

युग-निर्माण चित्रावली (प्रथम भाग)

सामाजिक कुरीतियों पर सचिवेचन प्रकाश डालने वाले, गायत्री चित्रावली की तरह के 24 तिरंगे चित्रों सहित-मूल्य 2 रुपया।

युग-निर्माण चित्रावली (द्वितीय भाग)

महापुरुषों के प्रेरक संस्मरणों तथा ऐतिहासिक घटनाओं के चित्रों में प्रदर्शित कर नीति और सदाचार की भावनायें जागृत करने का सत्प्रयास। 24 तिरंगे चित्रों सहित- मूल्य 2 रुपये

गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न

हजारों ग्रन्थों की खोज, अगणित गायत्री उपासकों के सहयोग एवं तीस वर्ष की व्यक्तिगत साधना के फलस्वरूप विनिर्मित इन ग्रन्थों की एक-एक पंक्ति अनुभव के आधार पर लिखी गई है। गायत्री साधना से समुचित लाभ उठाने के इच्छुकों के लिए यह साहित्य अनुभवी गुरु के समान पथ प्रदर्शन करता है। इस विषय की सभी जिज्ञासाओं तथा शंकाओं का इन पुस्तकों में समुचित समाधान मौजूद है।

1. गायत्री महाविज्ञान (तीनों भाग )10.50

प्रथम भाग- गायत्री विद्या का वैज्ञानिक आधार गुप्त शक्तियों का रहस्य, नित्य उपासना, अनुष्ठान विधि, गायत्री सम्बन्धी शंकाओं का समाधान, अनेक कष्टों का निवारण एवं अनेक कामनाओं की पूर्ति के लिये लगाये जाने वाले बीज-मन्त्रों का साधन-विधान, आत्म साक्षात्कार एवं ऋद्धि सिद्धियों का मार्ग, स्त्रियों की विशेष उपासना विधियाँ आदि अनेक महत्वपूर्ण विषयों का सुबोध ढंग से प्रतिपादन । मूल्य 3 रु. 50

द्वितीय भाग- गायत्री द्वारा वाममार्गीय तान्त्रिक विधान के अनुसार मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, मुद्रा आदि के अनेक विधानों का वर्णन तथा गायत्री-गीता, गायत्री-स्मृति, गायत्री-संहिता, गायत्री-उपनिषद्, गायत्री-पारायण, गायत्री-हृदय, गायत्री पंजर, सहस्रनाम आदि का संग्रह। मूल्य 3 रु. 50

तृतीय भाग- गायत्री महामन्त्र द्वारा 24 प्रकार के योगाभ्यासों के साधना विषयक विधान। जप-योग, प्राण-योग, शब्द-योग, नाद-योग, हठयोग, कुण्डलिनी-योग, षट्-चक्र वेधन की साधनायें तथा अन्नमयकोष, मनोमयकोष, प्राणमयकोष को सिद्ध करने के रहस्य मार्ग का दिग्दर्शन। मूल्य 3 रु. 50

2. गायत्री यज्ञ विधान (दोनों भाग) 4 रु.

1. प्रथम भाग- गायत्री यज्ञ का विधान , लाभ एवं महत्व का तर्क , प्रमाण एवं शास्त्रीय विधान के आधार पर बहुत ही खोजपूर्ण वर्णन । मु. 2 रु.

2. द्वितीय भाग- सामूहिक गायत्री हवन - गायत्री हवन करने की शास्त्रोक्त विधि, प्रक्रिया, जल-यात्रा, मंडप-प्रवेश, वेदी-पूजन, कुशकण्डिका, अग्निस्थापन, आहुति-मंत्र पूर्णाहुति, वसोधरा, घृतावघ्राण, भस्मधारण, अभिसिंचन आदि का पूरा विधि-विधान समझकर बड़े यज्ञों का आचार्यत्व किया जा सकता है। मु. 2 रु.

3. गायत्री चित्रावली- विविध प्रयोजनों के लिए गायत्री माता के ध्यान करने योग्य आर्ट पेपर पर छपे 24 तिरंगे चित्र तथा सरल भाषा में उनका महत्व प्रतिपादन। मु. 2 रु.

4. गायत्री मन्त्रार्थ- अनेक ग्रन्थों में अनेक ऋषियों द्वारा गायत्री महामन्त्र के अनेकों प्रकार के किए हुए अर्थों का संग्रह। राक्षसराज रावण का किया हुआ अर्थ भी इसमें है। मु. 1 रु. 50

5. गायत्री सम्बन्धी छोटा प्रचार साहित्य -

1- छोटा गायत्री ट्रैक्ट साहित्य सैट- आकर्षक कवरों वाले 32-32 पृष्ठ के गायत्री उपासना तथा उसकी वैज्ञानिकता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है। प्रचार की दृष्टि से इन ट्रैक्टों का महत्व असाधारण है। प्रत्येक ट्रैक्ट का मूल्य 40 पैसा- 15 पुस्तकों के सैट का मूल्य 6 रु. ट्रैक्टों के नाम इस प्रकार हैं-

1. गायत्री का स्वरूप और रहस्य। 2. गायत्री की गुप्त शक्ति। 3. सर्व सुलभ गायत्री साधना। 4. गायत्री का शक्ति स्त्रोत- सविता देवता। 5. गायत्री और उसकी प्राण प्रक्रिया। 6. गायत्री पञ्चमुखी और एकमुखी। 7. गायत्री की पञ्चविधि दैनिक साधना। 8. गायत्री की विशेष साधना। 9. गायत्री मन्त्र की विलक्षण शक्ति। 10. गायत्री की असंख्य शक्तियाँ। 11. गायत्री की सिद्धियाँ। 12. गायत्री शक्ति का नारी स्वरूप। 13. स्त्रियों का गायत्री अधिकार। 14. गायत्री और यज्ञोपवीत। 15. गायत्री और यज्ञ का सम्बन्ध।

2. संक्षिप्त गायत्री हवन- सामूहिक गायत्री हवन तथा पारिवारिक उत्सवों के अवसर पर किये जाने वाले, एक घंटे में पूरे होने वाले संक्षिप्त गायत्री हवन का विधान। (मु. 20 पैसे)

3. दैनिक गायत्री साधना- नित्य के जप, हवन का सामान्य विधान। (मू. 20 पैसे) 4. गायत्री चालीसा (मू. 10 पैसे) 5. दैनिक आरती (मू. 5 पैसे) 6. युग निर्माण का सत्संकल्प (मू. 5 पैसे)

3. दैनिक गायत्री साधना- नित्य के जप, हवन का सामान्य विधान। (मू. 20 पैसे) 4. गायत्री चालीसा (मू. 10 पैसे) 5. दैनिक आरती (मू. 5 पैसे) 6. युग निर्माण का सत्संकल्प (मू. 5 पैसे)

गायत्री साहित्य अखण्ड-ज्योति संस्थान से ही माँगना चाहिये। अन्य पुस्तकें युग-निर्माण योजना के पते से मँगानी चाहिए।

गायत्री साहित्य अखण्ड-ज्योति संस्थान से ही माँगना चाहिये। अन्य पुस्तकें युग-निर्माण योजना के पते से मँगानी चाहिए।

धर्म मंच में नव निर्माण की प्रक्रिया

धार्मिक मंच से लोक-शिक्षण की जो व्यापक योजना बनाई गई है, उसके माध्यम से कोई भी भावनाशील धर्म-प्रेमी अपनी आजीविका बड़ी आसानी से चलाते हैं। प्रस्तुत योजना के अंतर्गत जो पुस्तकें छापी गई हैं उनका विवरण नीचे दिया जाता है-

1. गीता कथा- सात दिन में दोनों समय एक-एक गीता श्लोक की व्याख्या करने के लिए एक-एक स्वतन्त्र अध्याय है। प्रत्येक श्लोक की व्याख्या, विवेचना में ढेरों पौराणिक, ऐतिहासिक कथायें, दृष्टान्त एवं लघु कथाएँ जोड़ी गई हैं। साथ ही विषय की पुष्टि करने वाले संस्कृत श्लोक, दोहे, रामायण की चौपाइयाँ भी हैं, जिनके द्वारा कथा-वाचक, बाल-वृद्ध, शिक्षित अशिक्षित सभी के लिए आकर्षक एवं उपयोगी लोक-शिक्षण कर सकता है। मोटा ग्लेज कागज, बढ़िया जिल्द, मु. 6 रु. मात्र।

2. गीता पद्यानुवाद-गीता के समस्त श्लोक तथा उनका राधेश्याम रामायण तर्ज पर पद्यानुवाद इस पुस्तक में है। गीता सप्ताह धर्मानुष्ठान में प्रतिदिन आरम्भ में बाजे के साथ सामूहिक रूप से इसका पारायण करने पर कीर्तन जैसा आनन्द जाता है। कथा के साथ पारायण के लिए यह पुस्तक अनिवार्य रूप से आवश्यक है। मोटा कागज, बढ़िया छपाई। मु. 3 रु. मात्र।

3. रामायण कथा - रामायण के प्रेरक प्रसंगों और उद्धरणों द्वारा वैयक्तिक, पारिवारिक एवं आध्यात्मिक जीवन में सुख-शान्ति और सफलता का मार्गदर्शन किया गया है। कथाकार इसके माध्यम से रामायण कथा के आयोजन बहुत ही सुन्दर ढंग से सम्पन्न कर सकते हैं। मोटा कागज, बढ़िया जिल्द, मु. 6 रु. मात्र।

4. संक्षिप्त रामायण - सात दिन में रामायण का एक सस्वर पारायण करने के लिए उसके कुछ मार्मिक प्रसंग लिये हैं। प्रत्येक दिन दो अध्याय और अन्तिम दिन एक अध्याय कुल 13 अध्याय इस दृष्टि से विभक्त किये गये हैं। मु. 1 रु.

5. पर्वों की प्रेरणा और पद्धति- पर्व हमारे प्रेरणा स्रोत हैं, उन्हें वैज्ञानिक ढंग से मनाने का विधान उनकी प्रेरणाएँ और शिक्षाओं का प्रतिपादन। मु. 2 रु.

6. अभिनव संस्कार पद्धति-जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त होने वाले पुँसवन, नामकरण, अन्नप्राशन, मुण्डन, विद्यारम्भ, यज्ञोपवीत, विवाह, वानप्रस्थ, जन्म-दिन, विवाह दिन, अंत्येष्टि आदि संस्कारों को करने का सरल एवं प्रभावोत्पादक विधान है। प्रत्येक संस्कार के साथ उसकी उपयोगिता, आवश्यकता एवं शिक्षा संस्कृत श्लोकों में बताई गई है। संस्कारों द्वारा जीवन निर्माण का यह पारिवारिक प्रशिक्षण साँस्कृतिक पुनरुत्थान की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है। मु. 2 रु. 50

7. हमारी युग-निर्माण योजना -

प्रथम भाग- इस पुस्तक में योजना के सैद्धान्तिक पक्ष का स्वरूप स्पष्ट करते हुए उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है। सजिल्द मु. 3 रु.

द्वितीय भाग- इस खण्ड में योजना के कार्यक्रमों एवं कार्य-पद्धति को उसके स्वरूप को महत्ता सहित स्पष्ट किया गया है। सजिल्द मू. 3 रु.

8. धर्म तन्त्र से लोक शिक्षण -

प्रथम भाग- धर्म तन्त्र द्वारा कितना प्रखर लोकशिक्षण कितनी कुशलता से किया जा सकता है इस पुस्तक से स्पष्ट होता है। सामूहिक यज्ञायोजन एवं पर्वायोजनों के उपयोगी कर्मकाण्ड तथा उनकी चुभती हुई व्याख्या सहित यह पुस्तक इस दिशा में कार्य करने के लिए परम उपयोगी है। सजिल्द मु. 3 रु.

द्वितीय भाग- धर्म तन्त्र के माध्यम से व्यक्ति और परिवार को सुसंस्कृत बनाने वाला प्रकरण विधि व्यवस्था एवं प्रभावपूर्ण व्याख्या सहित इस पुस्तक में है। सजिल्द मु. 3 रु.

9. सत्यनारायण व्रत कथा- प्रचलित कथा के मूल उपाख्यानों को ज्यों का ज्यों रखते हुए उनके पात्रों के संवाद इतने विचारोत्तेजक एवं प्रेरणाप्रद श्लोकों में बना दिये हैं, जिनके माध्यम से धर्म-शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य पूरा होता है। इस कथा का प्रचार घर-घर में होने से जीवन-निर्माण का परिष्कृत रूप विकसित हो सकता है। मु. 75 रु. पैसे

10. सत्यनारायण पद्यानुवाद- तर्ज राधेश्याम में सत्यनारायण कथा का छन्दोबद्ध अनुवाद। मु. 40 पैसे

पुस्तकें मँगाने के नियम

(1) 5 रु. से कम की पुस्तकें वी.पी. द्वारा नहीं भेजी जातीं। यदि बहुत छोटा आर्डर हो तो पुस्तकों का मूल्य तथा डाक खर्च मिलाकर मनीआर्डर भेजना आवश्यक है।

(2) कमीशन देने की सुविधा पुस्तक मँगाने वालों को दी जाती है, जो इस प्रकार है - (अ) 10 रु. से कम की पुस्तकें लेने पर कुछ भी कमीशन नहीं (ब) 10 रु. से 99 रु. तक की पुस्तकें मँगाने पर 15 प्रतिशत कमीशन। (द) 100 रु. से अधिक की पुस्तकें मँगाने पर 25 प्रतिशत कमीशन। इससे अधिक कमीशन के लिये व्यर्थ लिखा पढ़ी न करें। डाकव्यय मंगाने वाले को ही वहन करना होगा।

(3) अपना पूरा पता हिन्दी या अँग्रेजी में साफ अक्षरों में लिखना चाहिए। यदि रेल से पुस्तकें मँगानी हो तो पास के रेलवे स्टेशन का नाम भी हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में रेलवे डिवीजन के सहित स्पष्ट लिखें।

पुस्तकें मँगाने का पता-

युग-निर्माण योजना, गायत्री तपोभूमि, मथुरा

अपनो से अपनी बात-


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