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December 1972

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परोपकारी महात्मा लोग ईश्वर के नजदीकी सम्बन्धी हैं और दूसरे, संसारी हैं, मनुष्य तो उसके केवल उत्पन्न किये प्राणी मात्र हैं।

-रामकृष्ण परमहंस

सदुद्देश्य प्रार्थना की आवश्यक शर्त है। कामना पूर्ति में दैवी सहयोग मिलने की आशा तभी की जा सकती है जब कामनाएं उच्च कोटि की हों उनमें आत्म कल्याण और लोक मंगल का उच्च प्रयोजन सन्निहित है।

निकृष्ट स्वार्थ की पूर्ति के लिए वासना और तृष्णा का मनोरथ पूरा करने के लिए अयोग्य, कुपात्र और अनैतिक व्यक्तित्वों द्वारा की गई प्रार्थना हवा के झोंके के साथ उड़ते हुए सूखे पत्तों की तरह ऐसे ही आकाश में उड़कर अस्त व्यस्त हो जाती है। वे ईश्वर के कान तक पहुँचती तक नहीं। देवतत्व उन जल्पनाओं पर ध्यान नहीं देते और कामना पूर्ति की रट लगाने वाले ऐसे ही इधर उधर टकराते हुए असफल होकर घर बैठ जाते हैं। ईश्वर के दरबार में केवल उन्हीं प्रार्थनाओं पर ध्यान दिया जाता है जिनमें उच्च उद्देश्य और श्रेष्ठ आदर्श का समावेश हो।


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