भावना करें कि जिस महाशक्ति ने चन्दन को शीतलता-सुगन्धि दी है, उसी की कृपा से हमें भी वे तत्त्व मिल रहे हैं, जिनके आधार पर हम चन्दन की तरह ईश्वर सान्निध्य के अधिकारी बन सकें ।
इन भावनाओं के साथ यज्ञकर्त्ताओं एवं उपस्थित लोगों के मस्तक पर चन्दन या रोली लगाया जाए ।
ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम् । आपदां हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥