यज्ञ का ज्ञान विज्ञान

चन्दनधारणम्

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मस्तिष्क को शान्त, शीतल एवं सुगन्धित रखने की आवश्यकता का स्मरण कराने के लिए चन्दन धारण किया जाता है । अन्तःकरण में ऐसी सद्भावनाएँ भरी होनी चाहिए, जिनकी सुगन्ध से अपने को सन्तोष एवं दूसरों को आननद मिले ।

भावना करें कि जिस महाशक्ति ने चन्दन को शीतलता-सुगन्धि दी है, उसी की कृपा से हमें भी वे तत्त्व मिल रहे हैं, जिनके आधार पर हम चन्दन की तरह ईश्वर सान्निध्य के अधिकारी बन सकें ।

इन भावनाओं के साथ यज्ञकर्त्ताओं एवं उपस्थित लोगों के मस्तक पर चन्दन या रोली लगाया जाए ।

ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम् । आपदां हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥

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