यज्ञ का ज्ञान विज्ञान

मंगलाचरणम्

<<   |   <   | |   >   |   >>
यज्ञ कर्म अथवा अन्य धर्मानुष्ठानों को सम्पन्न करने वाले याजकों के आसन पर बैठते समय उनके कल्याण, उत्साह, अभिवर्धन, सुरक्षा और प्रशंसा के लिए पीले अक्षत अथवा पुष्प वर्षा की जाती है, स्वागत किया जाताहै ।। मन्त्र के साथ भावना की जाए कि इस पुण्य कर्म में भाग लेने वालों पर देव अनुग्रह बरस रहा है और देवत्वके धारण तथा निर्वाह की क्षमता का विकास हो रहा है ।। आचार्य निम्न मन्त्र से यजमान के ऊपर चावल फेंके।।

ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा, भद्रम्पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।। स्थिरैरंगैस्तुष्टुवा सस्तनूभिः, व्यशेमहि देव हितंयदायुः ॥ २५.२१

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: