यज्ञ का ज्ञान विज्ञान

आचमनम्

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वाणी, मन और अन्तःकरण की शुद्धि के लिए तीन बार आचमन किया जाता है, मन्त्रपूरित जल से तीनों कोभाव स्नान कराया जाता है ।। आयोजन के अवसर पर तथा भविष्य में तीनों को अधिकाधिक समर्थ, प्रामाणिकबनाने का संकल्प किया जाता है ।। हर मन्त्र के साथ एक आचमन किया जाए ।।

ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा ॥१॥ ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा ॥२॥ ॐ सत्यं यशः श्रीर्मयि, श्रीः श्रयतां स्वाहा ॥३॥

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