यज्ञोपवीत बदलने के लिए यज्ञोपवीत का मार्जन किया जाए ।। यज्ञोपवीत संस्कार की तरह पाँच देवों का आवाहन- स्थापन उसमें किया जाए, फिर यज्ञोपवीत धारण मन्त्र के साथ साधक स्वयं ही पहन लें ।। पुराना यज्ञोपवीत दूसरे मन्त्र के साथ सिर की ओर से ही उतार दिया जाए ।। पुराने यज्ञोपवीत को जल में विसर्जित कर दिया जाता है अथवा पवित्र भूमि में गाड़ दिया जाता है ।।
निम्न मन्त्र बोलकर नया यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए ।।
ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात् ।। आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः ।। -पार०गृ०सू० २.२.११
निम्न मन्त्र पाठ करते हुए पुराना यज्ञोपवीत गले में से ही होकर निकालना चाहिए ।। ॐ एतावद्दिनपर्यन्तं, ब्रह्म त्वं धारितं मया ।। जीर्णत्वात्ते परित्यागो, गच्छ सूत्र यथा सुखम् ॥