महारानी अहिल्याबाई अपनी न्याय−निष्ठा के लिए प्रख्यात थीं। महेश्वर में उनकी राजधानी थी। होल्कर राजवंश की इस शूरवीर महिला की न्यायपरायणता पर दृढ़ विश्वास होते हुए भी इंदौर के नागरिकों में महारानी के पुत्र की उद्दंडता−उच्छृंखलता के विरुद्ध शिकायत करने का साहस नहीं था एक दिन जब उनके क्रोध में आकर एक नागरिक की हत्या कर दी तो सारे नागरिक अहिल्याबाई के पास पहुँचे व राजकुमार के अत्याचारों के विरुद्ध फरियाद की। महारानी ने सारे मोह−स्नेह को ताक पर रखकर पुत्र को मृत्युदंड दिया एवं हाथी के पैर से कुचलवाकर उसे मरवा डाला। ऐसे उदाहरण उँगली पर गिनने योग्य मिलते हैं। प्रेरणा का प्रकाश अनीति के अंधकार भरे साम्राज्य में फैलाकर साहस प्रदान करते हैं।