जो सामने है (Kahani)

March 2001

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आपातकालीन अध्यात्म

साथियो! मैं यह कह रहा था आपसे कि यह आपत्तिकाल है, जिसमें से आप गुजर रहे हैं। इसे अगर आप हमारी आँखों से देख पाएँ, तो आप देख सकते हैं कि कैसे तूफान आ रहे हैं, कैसी आँधियाँ आ रही हैं? आपको अपनी आँखों से दिखाई नहीं पड़ सकता, क्योंकि आप सामने की चीजें देखते हैं। आपको केवल वही चीज दिखाई पड़ती है, जो सामने है।


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