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March 2001

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मनुष्य का पौरुष जहाँ लड़खड़ाता है, वहाँ गिरने से पूर्व ही सृजेता के लंबे हाथ असंतुलन को संतुलन में बदलने के लिए अपना चमत्कार प्रस्तुत करते दिखाई पड़ते हैं। यही है स्रष्टा का लीला-अवतरण, प्रकटीकरण।”

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य


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