यदि परमार्थपरक जीवन जीने का, एक-दूसरे को सहयोग देने का मार्ग अपनाया जाए, तो प्रतिक्रिया स्वरूप जनसहयोग एवं लोकसम्मान स्वतः मिलने लगेगा। सद्भाव पाने का एक ही मार्ग है-शिष्टाचार की पृष्ठभूमि पर टिका पारस्परिक सहकार।