स्वामी रामकृष्ण परमहंस के ज्ञान से प्रभावित श्री माथुर बाबू एक बार पूछ बैठे, “महाराज जी, आपके विचारों का स्पर्श पाकर जन-जीवन धन्य हो जाएगा। आप प्रचार के निमित्त निकलते क्यों नहीं?”
प्रमहंस बोले, “बेटे मैंने कुछ पौधे लगा रखे हैं, उनकी देखभाल करने के लिए यहाँ रहता हूँ।” माथुर बाबू बोले, “प्रभु वह काम तो माली........................।”
परमहंस बीच में ही हँस पड़े। पास बैठे नरेन्द्र, राखाल आदि की ओर इशारा करके बोले, “माली साधारण पौधे सँभाल सकता है, इन कल्पवृक्षों को तो मुझे ही सँभालना है। जो काम तू चाहता है, वह यही कर लेंगे।”