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July 2001

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देवसंस्कृति महाविद्यालय की दिशा में एक और सार्थक कदम

शाँतिकुँज 8 मई। देवसंस्कृति महाविद्यालय की प्रगति की दिशा में एक और सार्थक कदम उस समय रखा गया, जब 8 मई मंगलवार को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी. एस. सकलानी की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय निरीक्षण समिति शाँतिकुँज आई इस समिति का उद्देश्य गढ़वाल विश्वविद्यालय से देवसंस्कृति महाविद्यालय की संबद्धता को सुनिश्चित करना था। इस निरीक्षण समिति के सदस्यों में माननीय कुलपति महोदय के अतिरिक्त गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. एम.एस. रावत और वहीं के प्राचीन भारतीय इतिहास के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एम. खंडूरी और कला संकाय के डीन प्रो. आर.एन. सिंह और कार्य परिषद के सदस्य प्रो. पेन्यली, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी श्री पंत जी और गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जयदेव वेदालंकार एवं गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के ही ख्यातिप्राप्त मनोवैज्ञानिक प्रो. ओ.पी. मिश्रा थे। विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में गढ़वाल विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. लता गैरोला भी थीं।

निरीक्षण समिति के सभी सदस्य शाँतिकुँज की गतिविधियों को देखकर ही अभिभूत हो गए। शैल जीजी एवं डॉ. पण्ड्या ने उन सबको जब परमपूज्य गुरुदेव की विद्या विस्तार योजना की व्याख्या करते हुए देवसंस्कृति महाविद्यालय के उद्देश्यों व कार्य योजना की रूपरेखा को स्पष्ट किया तो सभी के मुख पर यही बात थी कि सचमुच ही आप लोग युग की माँग को पूरा कर रहे हैं।

अपनी सारी भावी औपचारिकताओं को पूरा करते हुए देवसंस्कृति महाविद्यालय के जुलाई मास में प्रारंभ हो जाने की संभावना है। इस महाविद्यालय में अभी एम.ए. (प्राचीन भारतीय इतिहास-संस्कृति व पुरातत्त्व, दर्शनशास्त्र एवं मनोविज्ञान) की कक्षाओं के साथ योग में पी.जी. डिप्लोमा की कक्षा को शुरू किया जाएगा। प्रत्येक कक्षा के लिए विद्यार्थियों की अधिकतम संख्या 20 सुनिश्चित की गई है। सभी छात्र-छात्राओं का प्रवेश साक्षात्कार द्वारा लिया जाएगा। जो भी परिजन इस विषय में अधिक जानकारी के इच्छुक हों, वे देवसंस्कृति महाविद्यालय प्रकोष्ठ, शाँतिकुँज हरिद्वार से पत्र व्यवहार कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति व भारतीय विद्याओं का पुनरुज्जीवन एवं विकास-विस्तार ही इस महाविद्यालय का उद्देश्य है, जिसे देवसंस्कृति महाविद्यालय के साथ-साथ यहाँ अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएँ मिलकर पूरा करेंगे।


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