मन के निकृष्ट विचार (Kahani)

November 1999

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एक ग्रामीण ने संत ज्ञानेश्वर से पूछा-संयमित जीवन बिताकर भी मैं रोगी हूँ, महात्मा ऐसा क्यों?  संत

बोले-पर मन में विचार तो निकृष्ट हैं, भले ही तुम बाहर से संयम बरतते रहो, मन में कलुष भरा हो, विचार गंदे हों तो वह अपव्यय रोगी बनाएगा ही।


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