एक ग्रामीण ने संत ज्ञानेश्वर से पूछा-संयमित जीवन बिताकर भी मैं रोगी हूँ, महात्मा ऐसा क्यों? संत
बोले-पर मन में विचार तो निकृष्ट हैं, भले ही तुम बाहर से संयम बरतते रहो, मन में कलुष भरा हो, विचार गंदे हों तो वह अपव्यय रोगी बनाएगा ही।