एक अस्त−व्यस्त युवक सुकरात के पास पहुँचा और बोला-”मुझे अध्यात्म के विषय में शिक्षा दीजिए।’
सुकरात ने कहा-”पहला पाठ है- सफाई सीखे। नहा-धोकर आओ। बाल या तो कटवाओ और यदि रखे हो, तो साफ करके, तेल डालकर कंघी से सँभालकर आओ। अध्यात्म सुसंस्कारिता को कहते हैं। पहले अस्वच्छता का प्रत्यक्ष कुसंस्कार हटाओ, तब अन्य कुसंस्कार हटाने की बात सोची जा सकेगी।”