प्रातःकाल की पवनलहरी आई और गुलाब को स्पर्श कर चली गई। पत्ते ने हँसते गुलाब को देखा तो आगबबूला हो गया। बोला- यह भी कोई जीवन है, माली आता है और असमय में ही तुम्हारी जीवनलीला समाप्त कर देता है। इतने अल्पजीवन में भी क्या आनन्द! मैं रोज देखता हूँ कितने ही फूल खिलते हैं और मुरझा जाते हैं।
गुलाब ने बड़े शाँत स्वर में उत्तर दिया-भाई! जीवन का अर्थ है सच्ची सुगंध। इस प्रकार चारों ओर सुगंधि को फैलाते हुए आमंत्रित मृत्यु ही जीवन और अमरता है।