ध्यान की प्रथम सिद्धि है- चित्त को विश्राम मिलना। बौद्ध धर्म में ध्यान की अनेकानेक पद्धतियाँ हैं। इन सभी में एक बात समान रूप से देखने में आती है कि साधक को जागे रहते हुए साधना में स्थित होने को कहा जाता है। सदैव सचेत रहकर साक्षी भाव में स्थित होकर मन के विकार कैसे नष्ट किए जाएँ, इसी का विवेचन यहाँ प्रस्तुत है।