आओ! हम भी युगज्योति का स्पर्श पाएँ

November 1999

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सब तरफ हाहाकार-चीत्कार-चारों ओर अंधकार-ही-अंधकार। साधन बहुत,शक्ति,किंतु अंधकार में उनका उपयोग कैसे हो? जिन्हें कुछ चाहिए, कुछ-का-कुछ उठा ले रहे हैं। जिनके पास कुछ देने को है, उन्हें पता नहीं किसे देना है। हर कार्य और उसके लिए हर वस्तु, पर इससे क्या-सभी बेठिकाने-अनर्थ तो होगा ही-कारण अंधकार। इस अंधकार को दूर करो, इसे निकाल बाहर करो- चारों ओर यही चीख-पुकार। यही हमें सब ओर से घेरे है।

एक नन्हा-सा दीपक मुसकराया- कहाँ है अंधकार? हर तरफ से आवाजें उठीं-यहाँ-यहाँ। दीपक पहुँचा- पूछा, कहाँ? उत्तर मिला-हर तरफ। दीपक ने कहा- पर अभी तो कहा जा रहा था ‘यहाँ’! पर यहाँ तो कहीं नहीं है। लोगों न चारों ओर देखा, सारी स्थिति साफ-साफ दीख रही थी। अपनी बात सही न साबित होते देख सभी दीपक पर ही बिगड़ उठे- तुम हमें झूठा साबित करने आए हो। हमारी चोटें देखो, हमारी हालत देखो, यह क्या बिना अंधकार के संभव है? दीपक शाँतभाव से बोला- तुम्हें झूठा सिद्ध करने का नहीं, अपना सत्य समझाने का विचार है, पर जो समझे उसी को तो समझाऊँ। तुमने अपनी चोटें देख लीं- उनमें मलहम लगाओ, मैं अन्य स्थान देखूँ।

दीपक हर आवाज पर गया, पर कहीं अंधकार नहीं मिला। सब जगह वही क्रम दोहराया गया। लोगों ने देखा, अरे सचमुच अंधकार तो दीपक के पहुँचते ही भाग जाता है। जहाँ दीपक होता है, वहाँ साफ-साफ दिखाई पड़ने लगता है। दीपक के चारों ओर भीड़ लग गई। सब प्रसन्नचित्त अपना-अपना काम करने लगे।

एक ने पूछा- अंधकार किसने भगाया? उत्तर मिला- इस ज्योति ने। एक बोला- तो ज्योति हमें दे दो, अपने घर ले जाएँगे। दूसरा बोला- नहीं मुझे दो और मुझे-मुझे का शोर मच गया। दीपक ने कहा- ज्योति सभी के साथ जा सकती है, पर उसकी अपनी शर्त है, कीमत है। लोग हर्षं से पुकार उठे- हम कीमत देंगे, शर्त पूरी करेंगे, ज्योति लेंगे।

तो सुनो, ज्योति वर्तिका पर ठहरती है, पर उसे स्नेहासिक्त होना चाहिए और हाँ उसे धारण करने के लिए ऐसा पात्र जो सीधा रह सके और स्नेह को स्वयं ही न पी जाए। यह सब कर सको, तो फिर ज्योति पाने की तैयारी। कुछ ने सार्थक प्रयास किया, दीपक ने उन्हें स्पर्श किया, वे प्रकाशित हुए और चल पड़े। शेष शिकायत करते रहे।

आज भी हर व्यक्ति के लिए कुछ ऐसा ही अवसर है। युगज्योति हममें से हर एक का आह्वान कर रही है। पर हम हैं कि लाभ उठाने की कोशिश कम, शिकायतें अधिक कर रहे हैं। अच्छा हो, इसके लिए जीवन में साधन जुटाएँ, युगज्योति के संपर्क में आने की साधना करें। फिर तो युगज्योति का स्पर्श पाते ही, जीवन में अंधकार खोजने पर भी नहीं मिलेगा।


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