VigyapanSuchana

November 1999

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पूज्यवर ने अपने सभी मानसपुत्रों, अनुयायियों के लिए मार्गदर्शन एवं विरासत में जो कुछ भी लिखा है- वह अलभ्य ज्ञानामृत (पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वाङ्मय सत्तर खंडों में ) अपने घर में स्थापित करना ही चाहिए। यदि आपको भगवान ने संपन्नता दी है, तो ज्ञानदान कर पुण्य अर्जित करें। विशिष्ट अवसरों एवं पूर्वजों की स्मृति में पूज्यवर का वाङ्मय विद्यालयों, पुस्तकालयों में स्थापित कराएँ। आपका यह ज्ञानदान आने वाली पीढ़ियों तक को सन्मार्ग पर चलाएगा, जो भी इसे पढ़ेगा, धन्य होगा।


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