गिलहरी (Kahani)

November 1999

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गिलहरी पूँछ से धूल लाती और समुद्र में डाल आती। वानरों ने पूछा-देवि! तुम्हारी पूँछ की मिट्टी से समुद्र का क्या बिगड़ेगा? तभी वहाँ पहुँचे भगवान् राम ने उसे अपनी गोद में उठाकर कहा- एक-एक कण धूल से एक-एक बूँद पानी सुखा देने के मर्म को समझो वानरो! यह गिलहरी चिरकाल तक सत्कर्म में सहयोग के प्रतीक रूप में सुपूजित रहेगी।


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