साधु की झोपड़ी में एक चुहिया रहती थी। कुछ दिन तक अच्छा खासा भोजन प्राप्त करने के उपरान्त यह बड़ी हो गई है और विवाह की इच्छा करने लगी।
साधु ने उसके लिये कई समर्थ वर ढूंढ़े हाथी, शेर पहाड़ व बगीचे आदि। चुहिया ने उन सब में दोष बताये और कहा पहाड़ बगीचे आदि को तो एक चूहा ही खोखला कर सकता है। मेरी समझ में इन सबसे चूहा अधिक उपयुक्त लगता है। साधु ने उसकी पसंद भी समझ तो और एक मोटे चूहे से उसका विवाह कर दिया।