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Akhand Jyoti
Year 1990
Version 2
मधु संचय...
मधु संचय
June 1990
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Page Titles
संग्रह से कलह और विग्रह ही हाथ लगेगा
शिक्षा से उठकर विद्या की ओर
प्रतिभा से बढ़कर कोई समर्थता है नहीं
पुरुषार्थ में लगा रहना (kahani)
उपचार जड़ों का हो पत्तियों का नहीं
प्राणवान ही पायेंगे दैवी अनुदान
नारायण बनने का अवसर (kahani)
आकर्षण और आभा का स्रोत
सद्विचार ही करेंगे समाज का उद्धार
दृष्टिकोण की परिपक्वता
Quotation
युग सन्धि के अगले दिन
सच्चा प्रायश्चित (kahani)
महान कौन?
सही अर्थों में जीवनमुक्ति की परिभाषा
कौन अपना, कौन पराया?
मनुष्य अपनी छठी इन्द्रिय विकसित कर सकता है
प्रार्थना में है-चमत्कारी शक्ति
सच्चे अर्थों में (kahani)
नव सृजन की अनुपम अध्यात्म-साधना
Quotation
किन्तु जीना हमें हाय आता नहीं!
समन्वय प्रशस्त करेगा उज्ज्वल भविष्य के पथ को
अध्यात्म पर आधारित नवयुग का साम्यवाद
शाह अशरफअली (kahani)
यह एकान्त की तपश्चर्या क्यों, किसलिए?
निकट भविष्य में संभावित स्वर्णयुग
मनस्वी-तेजस्वी
बुद्धि नहीं, भावना प्रधान
महात्मा तिलमिला गया (kahani)
साधना कौन सी सच्ची?
अंतरिक्षीय हलचलें व उनका प्रभाव
मधु संचय
परम सत्ता से (Kavita)
प्रज्ञा-अवतरण (Kavita)
आस्तिकवाद का विज्ञान सम्मत आधार
चूहे से उसका विवाह (Kahani)
दीक्षा के साथ शिक्षा भी अनिवार्य
मानवी दायित्वों का गरिमापूर्ण निर्वाह
Quotation
जब बोल उठा महाकाल
नवयुग का अरुणोदय अब निकट ही
कर्म योग की साधना (Kahani)
मानव मात्र एक समान
संस्कृति का गौरव बनाम सतयुग
अपनों से अपनी बात
काल ही है महाकाल
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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