एक किसान के चार बेटे थे। उनकी बुद्धिमत्ता जाँचने के लिए सभी बेटों को बुलाकर किसान ने एक-एक मुट्ठी धान दिया और कहा—" इनका जो मरजी हो सो करना।"
एक ने उसे छोटी वस्तु समझा और चिड़ियों को फेंक दिया। दूसरा उसे खाने के उपयोग में लाया। तीसरे ने सम्हालकर डिब्बे में रख दिया, ताकि कभी पिता माँगे तो उन्हें दिखा सकूँ। चौथे ने उन्हें खेत में बो दिया और टोकरा भरा धान पिता के सामने लाकर रख दिया।
पिता ने बोने वाले को अधिक समझदार पाया और बड़ी जिम्मेदारियों के काम उसी के सुपुर्द किए। भगवान भी यही करता है।