युधिष्ठिर को स्वर्ग ले चलने के लिए देव विमान आया। तब उनके साथ एक पालतू कुत्ता भी था। युधिष्ठिर ने कहा— "इतने प्रिय मित्र को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता, यह भी साथ चलेगा।"
देवताओं ने धर्मराज से उसके प्रवेश की व्यवस्था न होने की बात कही तो धर्मराज ने भी जाने से इंकार कर दिया। विमान लौट गया। देवलोक में सभा हुई। बृहस्पति ने कहा— "इतने महान धर्मात्मा के साथ रहते हुए कुत्ता भी धर्मात्मा हो गया होगा। उसे भी बुला लिया जाए।"
दुबारा विमान आया और युधिष्ठिर कुत्ते के साथ स्वर्ग गए।