मानव शरीर दिव्यशक्तियों का भांडागार है। योग-साधनाओं द्वारा इन्हें जागृत करके मनुष्य त्रिकालज्ञ बन जाता है और भूत, वर्त्तमान एवं भविष्य की सब बातें जान लेता है। उसके लिए देश, काल और समय की दूरी समाप्त हो जाती है। भारतीय दर्शन के अनुसार तात्कालीन सभी ऋषि-मुनि इस स्तर को प्राप्त थे।
मानव सुषुम्ना में स्थित कु्ंडलिनी, षट्चक्र, ग्रंथियाँ एवं उपग्रंथियाँरूपी विभूतियों का भंडार है। अनेक जन्मों के जमे कषाय-कल्मषों को योग-उपासना के माध्यम से मिटाने पर ये प्रज्वलित अग्नि की तरह दिव्य प्रकाश एवं ज्ञान से चमक जाते हैं और सारे ज्ञान का रहस्य व्यक्त कर देते हैं। तप, संयम एवं सादगी से कोई साधारण-सा मनुष्य भी ऐसा कर सकता है। आधुनिक जगत में भी अनेक लोगों ने यह सफलता पाई है।
गेरार्ड क्राइसे को यह अतींद्रियशक्ति बाल्यकाल से ही मिली थी। संभवतः यह उसके पूर्वजन्मों के सत्कर्मों एवं उपासना का परिणाम था, जो बिना प्रयास के उसे इस जन्म में मिली। परामनोविज्ञानी लेनहाॅफ ने गेरार्ड की अतींद्रियशक्ति की परीक्षा ली, जिसमें वह सफल पाया गया। सिनेमा हॉल के एक निश्चित नंबर की सीट पर पाँच दिनों तक बैठने वाले व्यक्तियों का नाम एवं हुलिए को सीट को स्पर्श करके गेरार्ड ने बता दिया। इस छोटी-सी परीक्षा के बाद वह अधिक लोकप्रिय हो गया और सर्वत्र उसकी चर्चा होने लगी।
हॉलैंड की पुलिस ने गेरार्ड की अतींद्रियशक्ति से अनेक क्लिष्ट अपराधियों का पता लगाया। 23 मई 1950 को एक नवयुवती के हत्यारे का पता गेरार्ड की अतींद्रियशक्ति के द्वारा लगाया गया। उन्होंने नवयुवती के कपड़ों को स्पर्श करके सब बातें बता दीं, जिससे अपराधी पकड़ा गया। एक अमरीकी महिला ने अपनी चप्पलें दूसरे व्यक्ति के द्वारा गेरार्ड के पास भेजीं और उसके पहनने वाले का परिचय पूछा। चप्पल को स्पर्श करके उन्होंने उस युवती का नाम, पता एवं हुलिया बता दिया। एक जर्मन सेनाधिकारी के कंकाल को छूकर उन्होंने एक दिन बताया कि यह अधिकारी जर्मन सेना का है, उसके गरदन पर घातक हमला करके एक व्यक्ति ने उसकी हत्या की थी, क्योंकि उसने उसकी बेटी के साथ पाशविक बलात्कार किया था।
फ्रांस के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक काउंट एगनर डि गैसपेरिन ने 'सुपर नेचुरल' कहे जाने वाले विलक्षण प्रदर्शनों एवं परीक्षणों का संकलन किया है। उन्होंने सत्य एवं प्रमाणित अनेक घटनाओं का इसमें वर्णन किया है। रूस के मूर्धन्य वैज्ञानिकों ने भी सुपर नेचुरल घटनाओं का संकलन किया है। अमेरिका के शोधकर्त्ता डॉ. विलियम ए. मैकगेरे अपने अनेक सहयोगियों के साथ 1970 में रूस में साइकिक रिसर्च हेतु आए। वहाँ उन्होंने परीक्षण में यह सत्य पाया कि श्रीमती सार्जेंट नेल्या मिरबाइलोवा की दृष्टि में बेधक क्षमता है। इसे टेलीकॉम में सीस नाम दिया गया है।
रेडियोमीटर के निर्माता मूर्धन्य वैज्ञानिक सर विलियम क्रूक्स ने डेनियल डगलस होम के संकल्पशक्ति की परीक्षा ली। उन्होंने पाया कि डगलस अपनी संकल्पशक्ति से भारी-भरकम मेज को अपने स्थान से हटाने एवं उछल-कूद कराने में पूर्ण सफल रहे। इसमें किसी तरह का छल-कपट या जादूगरी उन्होंने नहीं पाई। 1972 में क्रूक्स ने होम के 52 प्रदर्शनों को वैज्ञानिक कसौटी पर कसने के बाद घोषणा की कि डगलस होम में विलक्षण संकल्पशक्ति कार्य करती है, जिसका पता नहीं लगाया जा सकता। जाली के कटघरे में रखे वाद्य-यंत्रों को स्पर्श किए बिना, मात्र दृष्टि डालने से होम ने अनेक स्वर, लय एवं मधुर ध्वनियाँ निकाली। जिनेवा के प्रोफेसर यूरी ने भी 'मैटर ओवर दि माइंड' विषय पर अत्यधिक अनुसंधान एवं शोध-परीक्षण किया है। उन्होंने भी अतींद्रियशक्ति की विलक्षण सामर्थ्य को अनेक परीक्षणों में सत्य पाया है। वस्तुतः इस चिरंतन सत्य को स्वीकार करने हेतु अब क्रमशः सभी बाध्य हो रहे हैं।