एक महात्मा नाव पर जा रहे थे। उसी में कुछ दुष्ट भी बैठे थे। महात्मा का सिर घुटा हुआ देखकर दुष्टों को अति सूझी। वे धड़ा-धड़ उनकी खोपड़ी पर चपतें लगाने का मजा लूटने लगे।
आकाश के देवता यह दृश्य देखकर बहुत क्रुद्ध हुए। महात्मा से पूछा— “कहो तो नाव उलट दें और इन सभी को नदी में डुबा दें।” महात्मा हँसते हुए कहा— "उलटना और डुबोना तो सभी जानते हैं। आप देवता हैं तो इन्हें उलटकर सीधा कीजिए और डुबाने की अपेक्षा उबार दीजिए।"
देवताओं ने वैसा ही किया।