मनुष्य का वैभव (कहानी)

April 1987

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भगवान ने सर्वप्रथम बैल बनाया और उसे पचास वर्ष की आयु दी। बैल ने कहा—  "जब इतना कठोर जीवन जीना पड़ेगा, तो इतने दिन जीकर क्या करूँगा ?" भगवान आधी उम्र कम कर दीजिए। भगवान ने आधी काट कर अपनी फीती में रख ली।

दूसरा कुत्ता बनाया उनकी भी आयु इतनी ही थी। इंकार करने पर उसकी भी उम्र आधी काट ली गई।

तीसरा मनुष्य बनाया। उसे भी पचास वर्ष जीना थ; पर वह इतने  से संतुष्ट नहीं था, उसने अधिक जीना चाहा। सो भगवान ने पच्चीस वर्ष बैल और पच्चीस वर्ष कुत्ते की आयु भी उसे दे दी।

पचास वर्ष तक मनुष्य का अपना वैभव काम देता है। फिर शेष भगवान के अनुदान को वह उसी काम में लगाए, तो फिर बैल और कुत्ते की तरह पशुजीवन जीना पड़ता है।


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