अब फिर से सतयुग आएगा, यह बोल रहा है महाकाल

April 1987

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उपरोक्त पंक्तियाँ उन गगनभेदी नारों में से हैं ;जिनसे पिछले दिनों संपंन हुए राष्ट्रीय एकता सम्मेलनों शतकुंडी महायज्ञों में असंख्यों नागरिकों द्वारा वातावरण गुंजित हुआ है। देश के कोने-कोने से प्रतिदिन मिल रहे समाचार बताते हैं कि राष्ट्र की संघबद्धता-अखंडता के लिए किए जा रहे प्रज्ञा अभियान के प्रयासों ने दुर्धर्ष प्रतिगामियों के पैर उखाड़ दिए हैं। संव्याप्त वैचारिक प्रदूषण एवं आस्था संकट के निवारण हेतु इन सम्मेलनों ने सत्प्रवृत्तियों का पक्षधर वातावरण बनाया है। आशा की एक किरण जागी है कि ऊषाकाल के पूर्व का यह तिमिर मिटने ही वाला है, नवयुग का सूर्योदय होने ही वाला है।

अब दूर नहीं है वह दिन जब से मानवता आएगी

अहमदाबाद (गुज.) परम पूज्य गुरुदेव की सूक्ष्मशक्ति का प्रभाव यहाँ संपंन हुए शतकुंडी गायत्री महायज्ञ एवं विशाल राष्ट्रय एकता सम्मेलन में दृष्टिगोचर हुआ। जलकलशयात्रा का इतना लंबा जुलूस अहमदाबाद के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं निकला; जिसमें पचास हजार विभिन्न धर्मों के व्यक्ति व्यवस्थित और अनुशासित रहकर युग संदेश देते और राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाने के संकल्प का उद्घोष करते रहे।

स्थानीय अखबारों ने इस जलकलशयात्रा को वहाँ की प्रतिवर्ष निकलने वाली रथयात्रा में कई गुना बड़ी बताया है। आकाशवाणी व दूरदर्शन के स्थानीय केंद्र से आयोजन के समाचार प्रतिदिन प्रसारित किए जाते रहे।

इस कार्यक्रम में सभी धर्म-संप्रदाय के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाने के लिए एकजुट होकर काम करने का संकल्प सभी ने सामूहिक शपथ रूप में लिया।

सिहोरी (राज.) पच्चीस जीप, गाड़ियों में सजी झाँकियों के साथ पाँच सौ कलशधारी पीतवस्त्र धारी कुमारिकाओं द्वारा संपंन जलकलशयात्रा से आरंभ हुआ ।शतकुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन समुचे-क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया।

शानदार कलशयात्रा की शुरुआत का प्रभाव समूचे कार्यक्रम में अपार जनसमूह की उपस्थिति के रूप में हुआ। पूज्य गुरुदेव के संदेश से प्रभावित होकर कई भावनाशील परियोजना ने हजारों के साहित्य खरीदकर आयोजन में सम्मिलित हुए परिजनों तक पहुँचाया। सभी धर्म-संप्रदाय के अनुयायी इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर लाभांवित होते रहे।

टाटानगर (बिहार) गोलमुरी मैदान में आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मेलन व शतकुंडीय महायज्ञ अपूर्व उमंग एवं उल्लास के साथ संपंन हुआ। इस आयोजन में सम्मिलित सभी लोगों ने अनेकता में एकता के गुणों का दिग्दर्शन किया।

कलशयात्रा में सम्मिलित सिक्ख, ईसाई व आदिवासी जत्थों के साथ स्वतंत्रता सेनानियों का जत्थादर्शकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहा। सायंकाल एकता सम्मेलन का उद्घाटन बिहार के सिंचाई राज्य मंत्री श्री सनातन सरदार ने किया। अपने उद्बोधन में री सरदार ने गायत्री मंत्र के भावार्थ को चिंतन एवं जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। सम्मेलन में सांसद गपेश्वर कौमी एकता के अध्यक्ष जलाल अहमद सिडकी रजीउद्दीन खान, डॉ. एस.एम. हुसैन, उाँ. मतलूब हुसैन, केदार दास मेहता, सरदार बलवंत सिंह सिराजुद्दीन तथा मौलवी अजीत भी उपस्थित थे। सभी ने देश की एकता और अखंडता के लिए एक जुट होने की शपथ ली। उपायुक्त जिला मजिस्ट्रेट आदि सभी उच्च अधिकारी इसमें प्रतिदिन उपस्थित रहे।

इंदौर (म.प्र.) शतकुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन समूचे-क्षेत्र को युगचेतना से अनुप्राणित करने के साथ संपंन हुआ। कुंभ मेले के समान बना वातावरण सहज ही आकर्षण का केंद्र रहा। जनसमुदाय को यज्ञस्थल तक पहुँचने के लिए अतिरिक्त वाहनों की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई। सम्मेलन स्थल पर बासंती छटा बिखरी हुई थी।

कार्यक्रम का शुभारंभ श्री महेश शास्त्री व प्रो. रमेश मंगल ने दीप प्रज्वलित करके किया। जलकलशयात्रा में हाथी, घोड़े, झाँकियाँ तथा हर संप्रदाय के प्रतिनिधियों का आकर्षण सहज ही लोगों का ध्यान आकर्षित करता रहा। जुलूस में जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई। इंदौर के इतिहास में ऐस जुलूस पहले कभी नहीं निकला सम्मेलन में शहर इंका के अध्यक्ष समजा सेवी श्री हरिकिशन मुदातल पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश चन्द्र सेठी, महापौर श्री बल्लभ तिवारी, विधानसभा उपाध्यक्ष श्री कन्हैयालाल यादव सहित लगभ 15 राजनेताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए इस आयोजन को अभूत पूर्व बतलाया।

सम्मेलन का समापन सहकारिता एवं कृषि मंत्री श्री शिवभानू सिंह सोलंकी ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री सोलंकी ने युगनिर्माण योजना के कार्यक्रमों को राष्ट्र की प्राणवायु की उपमा दी। सभी से इस एकता यज्ञ में आहुति देने की अपील की।

आयोजकों का अथक श्रम तब सार्थक हुआ जब लगभग 10 हजार अखंड ज्योति पत्रिकाओं के नए सदस्य व 300 साधक शांतिकुंज के सत्रों में भेजने का संकल्प सभी ने मिल जुलकर लिया। एवं यज्ञ पूरा होने तक चरितार्थ भी कर दिखाया। इंदौर से एक पूरी टोली शांतिकुंज जा रही है।

फैजाबाद (उ. प्र.) ठंड व घनघोर कोहरे के बावजूद कार्यकर्ताओं का परिश्रम जब सार्थक दिखा जब आसपास के क्षेत्रों से शतकुंडीय महायज्ञ व राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए विशाल जन समूह उमड़ा पड़ा। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने इस अवसर पर पूज्य गुरुदेव की सूक्ष्म उपस्थिति का भानकर अपने आप को कृतकृत्य माना।

राष्ट्रीय एकता सम्मेलन का उद्घाटन डॉ. श्रीमती राजेन्द्र कुमारी वाजपेयी, जनकल्याण एवं राष्ट्रीय एकीकरण राज्यमंत्री भारत सरकार ने राष्ट्रीय एकता दीप जलाकर किया ।आयोजन में स्वामी कृष्णानन्द जी, जिला न्यायाधीश श्री कृष्ण मोहन पाण्डेय आचार्य नरेन्द्र देव तथा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कीर्तिसिंह सम्मिलित होकर जनसमूह एकता के लिए प्रेरित करते रहे।

भोपाल (मा.प्र.) मध्य प्रदेश की राजधानी तालाब नगरी में शतकुंडीय गायत्री महायज्ञ की जलकलशयात्रा में भारत माँ के नक्शे पर मंदिर, मस्जिद, गिरिजा और गुरुद्वारा की झाँकी आकर्षण का केंद्र बनी रही। डेढ़ किलोमीटर जुलूस ने अपनी ऐतिहासिक छाप छोड़ी।

राष्ट्रीय एकता सम्मेलन का उद्घाटन श्री तनवत सिंह कीर ने किया। प्रदेश की राजधानी होने के मंत्री, साँसद विधायकों में से अधिकांश कार्यक्रम में सम्मिलित होते रहे। इनमें से प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र शुक्ल प्रदेश के वित्तमंत्री राम किशोर शुक्ल, साँसद सुभाष यादव तथा विधायक बाबू लाल गौर प्रमुखरूप से उपस्थित रहकर परिजनों का उत्साहवर्धन करते रहे। भोपाल के नागरिकों ने अनुभव किया कि गैस त्रासदी के 2 वर्ष बाद संपंन हुए इस विशाल आयोजन ने आशा और खुशहाली का वातावरण बनाने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सूरत (गुजरात) शतकुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ विशाल मंगलकलशयात्रा के साथ हुआ जिसमें हजारों नर-नारी पीले वस्त्रधारण करके सम्मिलित हुए।

राष्ट्रीय एकता सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई ने किया। सम्मेलन में उपस्थित लोगों से श्री देसाई ने भाई चारे की भावना को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकता व अखंडता को मजबूत करने की अपील की। इस दिशा में युगनिर्माण योजना द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए श्री देसाई ने परम पूज्य गुरुदेव को इस युग का मसीहा बताया। साथ ही विश्वास व्यक्त किया कि यह मिशन ही प्रस्तुत वर्तमान की विभीषिकाओं में मानव जाति को बचा सकेगा।

पूर्णाहुति के दिन पाँच हजार लोगों ने दीक्षा ली। यज्ञ की अग्नि के समक्ष उपस्थित लोगों ने अपनी बुराइयों का त्याग किया व सत्साहित्य के अध्ययन का संकल्प लिया।

रीवा (म.प्र.) शतकुंडीय गायत्री महायज्ञ की जलकलशयात्रा विभिन्न संप्रदायों की झाँकियों के साथ देखकर दर्शकों के मुँह से सहज ही निकल पड़ा कि ऐसे आयोजन ही समाज को सही दिशा देकर राष्ट्रीय एकता स्थापित कर सकते हैं। राष्ट्रीय एकता स्थापित कर सकते हैं। राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में म. प्र. शासन के वित्तमंत्री पं. रामकिशोर शुक्ल ने संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय एकता में युगनिर्माण योजना द्वारा आयोजित सम्मेलन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। म.प्र. साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पं. भगवती शुक्ल व महाराजा मार्तंड सिंहजू देव भी आयोजन में सम्मिलित हुए।

स्थानीय आकाशवाणी केंद्र ने मिशन के गीतों से प्रभावित कई टेप किऐ जो समय-समय पर युवावाणी कार्यक्रम में प्रसारित हो रहे हैं।

बलसाड (गुजरात) परम पूज्य गुरुदेव की सूक्ष्मीकृत साधना का प्रत्यक्ष अनुभव यहाँ संपंन हुए शतकुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में परिजनों ने किया। एक सुनिश्चित अनुमान के आधार पर यज्ञशाला व पंडाल की व्यवस्था की गई थी, पर समुद्र के उफान की तरह जन समूह जो उमड़ा तो रुका नहीं। यज्ञशाला की प्रदक्षिणा निरंतर चलती रही।

राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में पारसी धर्म के मुख्य धर्मगुरु के अलावा मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सभी संप्रदायों के धर्म गुरुओं ने अपने-अपने संदेश में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता बतलाई। स्थानीय पत्रकारों ने तो यहाँ तक कहा कि गुजरात में विभिन्न कथावाचकों, धर्मोपदेशकों, राजनीतिज्ञों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों से भी अधिक जन समुदाय इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ तथा भावी जीवन के लिए एक नई प्रेरणा व प्रकाश लेकर गया।

छापी (बनासकांठा, गुज.) शतकुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में ढाई लाख लोगों ने युग संदेश सुनकर अपने आप को कृतकृत्य किया।

सम्मेलन में पूज्य गुरुदेव का संदेश गायत्री तपोभूमि मथुरा के व्यवस्थापक पं. लीलापति जी शर्मा ने सुनाया वर्तमान परिस्थितियों में व्यावहारिक समाधान लोगों ने पहली बार पाया। पंडित जी की ओजस्वी वाणी ने कार्यकर्त्ताओं को युगधर्म निभाने के लिए प्रेरित किया। सभी ने यह अनुभव किया कि मानों स्वयं पूज्य गुरुदेव उनके बीच उपस्थिति है।कर्त्ता

शिवपुरी (म.प्र.) कार्यक्रम शुरू होने तक लगातार गिर रहे पानी को देखकर सभी कार्यकर्त्ता हतोत्साहित थे लेकिन जलकलशयात्रा के समय से लेकर पूर्णाहुति तक खुला आसमान देखकर लोगों ने सहज ही पूज्य गुरुदेव की सूक्ष्मीकरण साधना का प्रत्यक्ष अनुभव किया।

सम्मेलन का उद्घाटन रेल राज्य मंत्री श्री माधव राव सिंधिया ने किया। ऐसे ही अन्य सम्मेलनों का उल्लेख करते हुए मंत्री महोदय ने प्रज्ञा मिशन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रीय एकता सम्मेलन को अन्य धर्म व संप्रदाय के लोगों ने भी संबोधित किया।

सब्जी बेचने वाले मुस्लिम भाइयों ने आयोजन में लगी सब्जी का भार स्वयं उठाया मुनीर खाँ टेंट हाउस का भी सराहनीय योगदान रहा।

ढोलका (अहमदाबाद) शतकुंडीय महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन का उद्घाटन गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष श्री नटवर लाल शाह ने किया।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री शाह ने कहा कि राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता के लिए इन दिनों सभी को एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। इस दिशा में गायत्री परिवार की महत्त्वपूर्ण भूमिक की उन्होंने सराहना की।

यज्ञायोजन में सभी धर्म-संप्रदाय के लोगों ने भाग लिया सभी ने यज्ञाग्नि की साक्षी में राष्ट्रीय एकता की शपथ ली।

गोंडा (उ.प्र.) यहाँ संपंन अभी तक के सभी आयोजनों को राष्ट्रीय एकता सम्मेलन ने फीकाकर दिया। प्रभावशाली 20 परिजनों की टोली ने इस आयोजन को अभूतपूर्व बना दिया।

आयोजन में स्थानीय जिलाधीश महोदय का सराहनीय योगदान रहा। सम्मेलन में सभी धर्म-संप्रदाय के लोगों ने भाग लिया। सभी ने युगनिर्माण मिशन द्वारा किए जा रहे प्रयासों को दैवी प्रयास बतलाया।

धानेरा (गुज.) शतकुंडी यज्ञ और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में मुस्लिम, वोरा, जैन, बौद्ध सभी धर्मावलम्बियों ने भाग लिया। शोभायात्रा में प्रायः दस हजार व्यक्ति थे। तीन हजार लोगों ने राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए संकल्प लिया।

प्रस्तुत समय की विपन्नताओं एवं विभीषिकाओं को देखते हुए इन आयोजनों से उद्भूत उत्कृष्ट विचारधारा के प्रवाह की प्रभावोत्पादकता को नकारा नहीं जा सकता। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हर धर्म-संप्रदाय तथा विभिन्न धार्मिक साँस्कृतिक संगठनों ने पहली बार ऐसी एकता का परिचय दिया है। सब एकजुट होकर कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे रहे है। क्या यह सब नहीं बताता कि विभिन्नताओं से भरे हमारे राष्ट्र में परिवर्तन की नई लहर जन्म ले रही है?


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