अपने को खुश रखो। दूसरे भी तुमसे खुश रहेंगे। खिन्न रहने वाले किसी की खुशी हासिल नहीं कर सकते।
अपनी संपत्ति का ब्योरा तैयार मत करो और न उस पर इतराओ। अपने को ही संसार की संपत्ति समझो; क्योंकि अन्यान्यों के सहयोग से ही तुम्हारा व्यक्तित्त्व बना और वैभव बढ़ा है।