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Akhand Jyoti
Year 1986
Version 2
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April 1986
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एक मनुष्य सड़ता है तो समूचे वातावरण को दुर्गन्ध और कुरुचि से भर देता है।
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Page Titles
बड़प्पन की सही कसौटी
गीता का विश्वदर्शन
अक्षय आनन्द के तीन उद्गम स्रोत
अन्तःकरण की उत्कृष्ट भाव संवेदना
रूस की लड़ाई (kahani)
प्रेम किससे! भक्ति किसकी!
कठिनाइयों से डरना व्यर्थ है (kahani)
सात्विक आहार और आत्म साधना
सिद्ध पुरुषों के दर्शन और अनुदान
सुभाष चन्द्र बोस (kahani)
ईश्वर के अनुग्रह से वंचित न रहें।
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यद्ब्रह्म तज्ज्योतिः यज्ज्योतिः स आदित्यः
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कुंडलिनी जागरण की पूर्व तैयारी
माता अंजनी (kahani)
ध्यान धारणा से दिव्य क्षमताओं का आकर्षण
श्री विश्वेश्वरैया (kahani)
नादयोग के ध्वनि संकेत
जार्ज ईस्ट मैन (kahani)
खरे व्यक्तित्व की कसौटी
बच्चों के साथ खेल रहे थे (kahani)
विश्व ब्रह्माण्ड के साथ संपर्क साधना
महामना मालवीय जी (kahani)
सृष्टा का सुव्यवस्थित किन्तु अद्भुत संसार
महर्षि रमण (kahani)
अंतर्जगत की दिव्य शक्तियाँ
जान सावर्स (kahani)
सूक्ष्म शरीर की महती सामर्थ्य
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भिक्षाटन के लिए गए (kahani)
अनोखी दुनिया अचम्भे की बातें
अकाल पड़ता रहा (kahani)
परोक्ष जगत की पाश्चात्य विवेचना
स्वप्न रात्रि का भटकाव नहीं है।
साहित्य जगत में भी बहुत प्रख्यात हुआ (kahani)
मरणासन्न काल के अनुभव
कभी क्षीण न होने वाला यौवन
अन्तरिक्ष में समर्थ और बुद्धिमान प्राणी
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संगीत का प्राणि वर्ग पर असाधारण प्रभाव
सधा हुआ ऊँट (kahani)
जड़ी बूटी उपचार ही सर्वश्रेष्ठ
ऋषि अगस्त्य की पत्नी (kahani)
अग्निहोत्र और यज्ञाग्नि
हर चीज बदल रही है (kahani)
श्राद्ध तर्पण का प्रयोजन
सावित्री साधना का स्वरूप एवं उससे जुड़ी मर्यादाऐं
परमहंस की पत्नी शारदामणि (kahani)
स्मारक एवं देवालय
कर्तव्य भावना (kahani)
अपनों से अपनी बात
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द्रवित-प्यार (kahani)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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